राजनांदगांव/खड़गांव। विश्व जल दिवस के अवसर पर खड़गांव क्षेत्र के बोरिया स्थित तोड़ाहूर प्राकृतिक जलस्रोत जो की दुर्गम पहाड़ों और वन के बीचो बीच मौजूद है, आसपास के सैकड़ों ग्रामीणों द्वारा परंपरागत रीति रिवाज से दैवी अनुष्ठान व पूजन कर विश्व जल दिवस मनाया गया और प्रकृति व पर्यावरण को सुरक्षित रखने संकल्प लिया गया। आपकों बता दें कि यह क्षेत्र आदिवासी बाहुल है। यहां के दुर्गम पहाड़ों व वनों में इनकी आस्था से जुड़े हुये ऐसे कई प्राकृतिक स्थान मौजूद है,जहां आदिवासी आज भी पारंपरिक तरीके से श्रद्धाभाव अर्पण करते है। जो इनकी जीवन शैली का एक हिस्सा है।
इसी के मद्देनजर दादा शेर सिंह आचला और लक्ष्यमेंद्र शाह द्वारा 2016 से अभियान चलाया गया। जिसके तहत इन प्राकृतिक और परंपरागत आस्था से जुड़े स्थानों का चिन्हाकन कर संरक्षण हेतु प्रशासन को अवगत कराया जा रहा है। ऐसे तमाम जगहों का अवलोकन कर 2017 में राज्य सरकार व तत्कालीन राज्यपाल के कार्यालयों तक पूरी जानकारी फाइल बनाकर सुपुर्द किया गया था। लक्ष्यमेंद्र शाह ने बताया कि यह पुरा इलाका माइनिंग एरिया के तहत बीएसपी के अधीन है, जब माइनिंग की शुरुआत हो रही थी तब इन स्थानों के संरक्षण के लिए भी चर्चा हुई थी। जिसमें 15 पंचायतों के ग्रामीणों ने हिस्सा लिया था। जिनपर अबतक कार्य नही किया गया। प्रशासनिक सुस्ती के चलते ये स्थान विलुप्ति के कगार पर है। भविष्य की पीढ़ी को अपने पारंपरिक विरासत से बेदखल कर उनकी सांस्कृतिक, समाजिक व्यवस्था का दमन किया जा रहा है। पर अब लोग जागरूक हो रहे है और इन प्राकृतिक स्थानों के संरक्षण हेतु अपना भरपूर योगदान दे रहें हैं। विश्व जल दिवस के अवसर पर शेरसिंह आचला (दमकसा), लक्ष्यमेंद्र शाह (पानाबरस), लालशाय उसेंडी भटगांव, सोनऊ कडियाम भटगांव, धर्मा टेकाम भटगांव, राजकुमार ताम्रकार, धिरियाव धुर्वा, बर्जुन कोरेटी, बैशाखू राम कोरेटी, विष्णु राम उसेंडी, सम्पत उईके, अरूण कुमार धुर्वा, दुर्गू राम मांडवी दोरबा, केजू राम पोटाई, रामजी पोटाई, नकुल मातलम, प्रेम मातलम, गुलाब मंडावी (मांझी) बोरिया, नरेन्द्र मंडावी दोरबा, रामकुमार सलाम बोदरा, उत्तम उइके, रामप्रसाद कोरेटी, देवलाल नरेटी, ज्ञान निषाद खडगांव, समदर सलाम बोदरा और फुलसिंग सलाम बोदरा उपस्थित रहे।
