✍️ लाला कर्णकान्त श्रीवास्तव
फाइल फोटो
एक्स रिपोर्टर न्यूज़ । राजनांदगांव
नैपकिन कांड के बाद सामने आए एमओयू प्रकरण में खैरागढ़ -छुईखदान-गंडई स्वास्थ्य विभाग के अफसर हर बार नया बयान दे रहे हैं। हमारी ओर से की गई लिखित शिकायत के बाद छुईखदान बीएमओ को शोकॉज नोटिस जारी किया गया था, जिसके जवाब पर से सीएमएचओ डॉ. आशीष शर्मा ने पत्रचार कर कबूल किया कि छुईखदान अस्पताल में बगैर एमओयू के निजी डॉक्टर से प्रेक्टिस करवाया गया। इस संबंध में रायपुर मुख्यालय से किसी तरह के लिखित आदेश नहीं दिया गया।
साथ में उन्होंने यह भी बताया कि राजनांदगांव के तत्कालीन सीएमएचओ डॉ. मिथलेश चौधरी ने मौखिक आदेश देकर तत्काल निजी डॉक्टर की व्यवस्था करने पर जोर दिया था। लोकल स्टॉफ ने केवल उच्च अधिकारियों के आदेश का पालन किया है। गौरतलब है कि जब भी किसी योजना के तहत पीपीपी मॉडल पर सरकारी अस्पताल में निजी डॉक्टर से प्रैक्टिस कराया जाता है तो सबसे पहले विशेष अनुबंध (एमओयू) कराया जाता है। राजनांदगांव सरकारी अस्पताल में इस नियम का हमेशा से पालन किया जाता रहा है। इस तरह के एमओयू से किसी भी तरह के जोखिम में सरकारी अमला पूरी तरह सुरक्षित रहता है। एमओयू नहीं कराने के फेर में छुईखदान स्वास्थ्य महकमा नैपकिन कांड के जांच और कार्रवाई के दायरे में आ चुका है।
अब कह रहे नहीं थी रेगुलर गायनोलॉजिस्ट
बीते महीने हमारी पड़ताल में सामने आने के बाद खैरागढ़ सीएमएचओ ने खुद बयान दिया था कि छुईखदान अस्पताल में रेगुलर गायनोलॉजिस्ट की पोस्टिंग हैं। इसके बावजूद निजी डॉक्टर से प्रेक्टिस क्यों करवाया गया? इसकी जांच की जाएगी। अब सीएमएचओ डॉ. शर्मा ने अपना बयान पलट दिया है। उनके द्वारा किए गए पत्राचार में कहा गया कि छुईखदान अस्पताल में स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर पदस्थ ही नहीं है। बता दें कि जब निजी डॉक्टर को बुलाया गया तब स्त्री रोग विशेषज्ञ महिला डॉक्टर अस्पताल में पदस्थ थीं, उनसे प्रसव कार्य की जगह विभागीय कार्य करवाएं जा रहे थे। नैपकिन कांड के बाद से महिला डॉक्टर लंबी छुट्टी पर चली गई जो आजतक नहीं लौटी हैं। एक बात साफ है अपने बचाव में जिम्मेदार अधिकारी चाहे कुछ भी बयान दें, लेकिन जांच की आंच से वे अपने आप को बचा नहीं पाएंगे।
***********
