✍️ लाला कर्णकान्त श्रीवास्तव
एक्स रिपोर्टर न्यूज़ । राजनांदगांव
छुईखदान सरकारी अस्पताल में हुए नैपकिन कांड की राज्य स्तरीय जांच रिपोर्ट संचालनालय से गायब है। यह चौंकाने वाला खुलासा सूचना के अधिकार से हुआ है। आरटीआई लगाए जाने के बाद से रायपुर मुख्यालय में बैठे अधिकारियों के हाथ पांव फूलने लगे हैं। संचालनालय में रिपोर्ट की कॉपी नहीं मिलने के बाद आवेदन को जिला स्तर पर राजनांदगांव और फिर खैरागढ़ सीएमएचओ दफ्तर भेजा गया। लेकिन यहां से भी कोई जानकारी हासिल नहीं हो पाई। जानकारी हो भी कैसे जब जांच रिपोर्ट जिला अधिकारियों को भेजी ही नहीं गई है। ऐसे में पिछले चार महीनों से आरटीआई आवेदन सौरमंडल की तरह एक के बाद एक विभागों के चक्कर काट रहा है।
नहीं बनी है जांच रिपोर्ट, देंगे कहाँ से…
यह मामला प्रशासनिक लापरवाही और गैर गंभीरता का स्पष्ट प्रमाण है। जिम्मेदार अधिकारियों के लिए यह मामले एक तरह से खेल और मजाक ही है। तभी तो महीनों सालों बीतने के बाद भी किसी पीड़ित को शासन प्रशासन से न्याय नहीं मिल पाता। दिलचस्प बात यह है कि इस मामले को लेकर जांच तो की गई लेकिन रिपोर्ट अधिकारियों ने सबमिट नहीं की। जानबूझकर रिटायरमेंट के करीब अफसर को जांच का जिम्मा दिया गया। जिन्होंने कार्रवाई पूरी नहीं की। जब जांच रिपोर्ट बनी ही नहीं है तो अधिकारी सूचना का अधिकार में रिपोर्ट देंगे कहां से। गौरतलब है कि शिकायतकर्ता के आरोप के अनुसार छुईखदान सरकारी अस्पताल में सिजेरियन डिलीवरी के दौरान निजी डॉक्टर ने महिला के गर्भ में नैपकिन छोड़ दिया था। जिससे महिला की तबीयत काफी बिगड़ गई थी। इलाज में लाखों रुपए खर्च करने के बाद महिला स्वस्थ हो पाई। पीड़ित महिला के पति ने मामले की शिकायत स्थानीय प्रशासन से की थी। इसके बाद सीधे प्रदेश स्तरीय जांच कमेटी का गठन किया गया था। आदेश में साफ कहा गया था कि जांच रिपोर्ट सप्ताह भर के भीतर प्रस्तुत करनी है लेकिन अधिकारियों ने आज तक जांच रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की है।
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