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✍️ लाला कर्णकान्त श्रीवास्तव

एक्स रिपोर्टर न्यूज़ । राजनांदगांव/खैरागढ़

नैपकिन कांड के बाद छुईखदान सरकारी अस्पताल में अव्यवस्था, लापरवाही और मनमानी की परतें उखड़ने लगी है। नित नए खुलासे हो रहें है। रेगुलर डॉक्टर की कमी और प्राइवेट डॉक्टर की दिलचस्पी नहीं होने का हवाला देकर छुईखदान अस्पताल में सिजेरियन डिलीवरी बंद कराने वाले अधिकारियों ने यह बात मीडिया से छिपाई रखी कि उनके पास पहले से ही रेगुलर गायनोलॉजिस्ट है। लेकिन महिला गाइनेकोलॉजिस्ट से मुख्य कार्य (प्रसव) कराने के बजाय वह दूसरा गैर जरूरी कार्य करवा रहे हैं। हमारी ओर से किए गए पड़ताल में इसका खुलासा हो चुका है। मिली जानकारी अनुसार छुईखदान सरकारी अस्पताल में लंबे समय से महिला गायनोलॉजिस्ट डॉक्टर नियमित रूप से पदस्थ है लेकिन उनसे सिजेरियन डिलीवरी करवाने के बजाय दूसरे कार्य में लगाकर रखा गया है। यही नहीं रेगुलर डॉक्टर के होते हुए भी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने सिजेरियन डिलीवरी करवाने के लिए बगैर एमओयू (अनुबंध) के प्राइवेट डॉक्टर को काम पर रख लिया। मोटी कमाई के चक्कर में निजी डॉक्टर द्वारा थोक में सिजेरियन डिलीवरी की जाने लगी और इसी चक्कर में एक केस बिगड़ गया। और फिर ऑपरेशन के दौरान महिला के गर्भ में नैपकिन छोड़ने का कांड उजागर हुआ। इस कांड की राज्य स्तरीय जांच तो हुई मगर रिपोर्ट संचालनालय में गुम हो चुकी है। जिसकी जांच के लिए भी अब राज्य स्तरीय कमेटी बनाने की जरूरत आन पड़ी है।

Health reporter@राजनांदगांव/खैरागढ़: नैपकीन कांड के बाद छुईखदान अस्पताल में सिजेरियन डिलीवरी बंद, जान जोखिम में डालकर वनांचल की गर्भवती महिलाओं को किया जा रहा रेफर, इधर अब तक नहीं आई प्रदेश स्तरीय जांच रिपोर्ट…

अस्पताल में 8 महीने से बंद है सिजेरियन डिलीवरी

नैपकिन कांड उजागर होने के बाद घबराए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने छुईखदान अस्पताल में सिजेरियन डिलीवरी ही बंद कर दिया। कार्य बंद हुए लगभग 8 महीने हो चुके हैं। ऐसे में वनांचल की गर्भवतियों को प्रसव के लिए निजी और राजनांदगांव के अस्पतालों तक दौड़ लगानी पड़ रही है। लंबे सफर के दौरान जान का जोखिम भी बना हुआ है। बीते दिनों हमसे हुई बातचीत में विभाग के अधिकारियों ने निजी डॉक्टर के दिलचस्पी नहीं दिखाने की वजह से सिजेरियन डिलीवरी बंद होने का हवाला दिया था जबकि अधिकारी चाहते तो रेगुलर गायनोलॉजिस्ट डॉक्टर से सिजेरियन डिलीवरी कार्य को यथावत रख सकते थे, लेकिन अधिकारियों ने न पहले ऐसा किया और न ही अब इस ओर ध्यान दे रहें हैं। इसे मनमानी न कहा जाए तो और क्या कहा जाए…? जिला प्रशासन को चाहिए कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की मनमानी पर लगाम लगाकर स्वास्थ्य सुविधा व व्यवस्था को पटरी पर लाए।

खैरागढ़ मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आशीष शर्मा ने बताया कि छुईखदान अस्पताल में रेगुलर डॉक्टर है। फिलहाल वह मातृत्व अवकाश पर है, इससे पहले वह प्रसव कार्य नहीं क्यों नहीं कर रही थी, इसका कारण पूछा जाएगा

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