लाला कर्णकान्त श्रीवास्तव
फाइल फोटो
एक्स रिपोर्टर न्यूज़ । राजनांदगांव/खैरागढ़
पब्लिक हेल्थ सेक्टर को मजबूत बनाने का दावा करने वाली छत्तीसगढ़ सरकार के अफसर खुद ही स्वास्थ्य सेवाओं को व्हीलचेयर पर बिठाने का काम कर रहे है। इसका उदाहरण नव गठित जिला केसीजी के छुईखदान सरकारी अस्पताल में आसानी से देखने को मिल जाएगा। सिजेरियन डिलीवरी के दौरान गर्भ में नैपकिन छोड़ने का कांड उजागर होने के बाद से अस्पताल में प्रसव कार्य पूरी तरह बंद कर दिया गया है। ऐसे में वनांचल के दूरस्थ इलाकों में रहने वाली गर्भवती महिलाओं को राजनांदगांव या फिर दूसरे जिले के अस्पतालों में रेफर किया जा रहा है। कई गंभीर केसेस भी सामने आ रहे हैं जिन्हें स्थानीय स्तर पर इमरजेंसी सुविधा उपलब्ध कराए बगैर बड़े अस्पतालों में रेफर कर दिया जा रहा है। मजबूरी में परिजन जच्चा बच्चा की जान जोखिम में डालकर बड़े अस्पतालों के तरफ रुख कर रहे हैं। जानकारी के मुताबिक डिलीवरी कांड की शिकायत होने के बाद अधिकारियों ने छुईखदान अस्पताल में प्रसव कार्य बंद करवा दिया। इससे पहले तक अस्पताल में खासी संख्या डिलीवरी के केसेस हैंडल किए जा रहे थे। इनमें से ज्यादातर केसेस वनांचल के दूरस्थ इलाकों के रहते थे। सेवा बंद होने से क्षेत्र में संस्थागत प्रसव का दर काफी नीचे चला गया है।
दूसरे डॉक्टर की व्यवस्था कर सेवा सुचारू रखने पर नहीं दिया ध्यान
गौरतलब है कि डॉक्टरों की कमी होने की वजह से छुईखदान अस्पताल में निजी डॉक्टर के जरिए सिजेरियन डिलीवरी का कार्य कराया जा रहा था। डॉक्टर के आरोपों में घिरने की वजह से स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बिना कुछ सोचे समझे आनन फानन में प्रसव कार्य बंद करवा दिया। जबकि दूसरे डॉक्टर की व्यवस्था कर डिलीवरी कार्य को सुचारू रखने की जरूरत थी। चर्चा करने पर अब अफसर निजी डॉक्टर उपलब्ध नहीं होने का हवाला देकर पल्ला झाड़ रहे हैं।
रिपोर्ट सार्वजनिक करने से कतरा रहे राज्य के अफसर
सिजेरियन डिलीवरी के दौरान गर्भ में नैपकिन छोड़ने के मामले की शिकायत होने के बाद राज्य स्तरीय टीम ने मामले की जांच की थी। जांच पूर्ण हुए महीनों बीत गए हैं लेकिन अभी तक जांच रिपोर्ट नहीं आई है। सीधे कह तो राज्य स्तर के अफसर जांच रिपोर्ट सार्वजनिक करने से कतरा रहे हैं। अब वे ऐसा क्यों कर रहे है यह भी अपने आप में जांच का विषय है। राज्य शासन को इस पर ध्यान देने की जरूरत है।
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