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✍️ लाला कर्णकान्त श्रीवास्तव

एक्स रिपोर्टर न्यूज़ । राजनांदगांव/खैरागढ़

छुईखदान सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सिजेरियन डिलीवरी के दौरान गर्भ में नैपकिन छोड़ने के मामले की राज्य स्तरीय जांच रिपोर्ट अब तक आई नहीं है। रिपोर्ट कब तक आएगी इसकी जानकारी स्थानीय अधिकारियों को भी नहीं है। लेकिन इस मामले को लेकर हमारी पड़ताल सिलसिलेवार जारी है। तहकीकात के दौरान चौंकाने वाले तथ्यों का खुलासा हुआ है। सूचना का अधिकार के तहत पता चला कि जिस प्राइवेट डॉक्टर से सरकारी अस्पताल में प्रैक्टिस करवाया गया, उनके साथ पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मॉड्यूल के तहत किसी तरह का अनुबंध या करार (MOU) नहीं किया गया था। जबकि नियम अनुसार प्राइवेट सपोर्ट लेने के लिए सरकारी संस्था या एजेंसी को लीगल पेपर वर्क (एमओयू) कराना अनिवार्य किया गया है।

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इसी पेपर वर्क के बदौलत ही प्राइवेट संस्था को भुगतान किया जाता है। लेकिन यहां बिना अनुबंध के ही लाखों रुपए का भुगतान कर दिया गया। हैरत की बात यह है कि खैरागढ़ के तत्कालीन सीएमएचओ, बीएमओ, डीपीएम और बीपीएम में से किसी भी अधिकारी ने इस महत्वपूर्ण औपचारिक दस्तावेजी प्रक्रिया को करवाना जरूरी नहीं समझा। इस खुलासे के बाद अब यह सभी अफसर जांच के दायरे में आ चुके हैं। ऑपरेशन में गंभीर लापरवाही बरतने के साथ अब इस मामले में सांठगांठ कर शासकीय राशि का दुरुपयोग करने की आशंका पनप चुकी है। इस बिंदु पर भी जांच हुई तो कई महत्वपूर्ण खुलासे हो सकते हैं।

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फर्स्ट स्टेज में मिली स्वीकृति सेकंड स्टेप पूरा ही नहीं किया

इस मामले को लेकर जब हमने छुईखदान बीएमओ डॉ. मनीष बघेल और एनएचएम बीपीएम बृजेश ताम्रकार से चर्चा कि तो उन्होंने 24 जुलाई 2021 को स्वास्थ्य संचालनालय द्वारा जारी आदेश का हवाला दिया। इस आदेश के तहत जिन सरकारी अस्पतालों में गायनोलॉजिस्ट डॉक्टर की कमी है वहां प्राइवेट डॉक्टर से प्रेक्टिस करने को लेकर स्वीकृति प्रदान की गई थी। अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने इसी आदेश के तहत प्राइवेट डॉक्टर श्री राडेकर को अप्वॉइंट किया था। यहां पर हम आपको बताना चाहेंगे कि संचालनालय से जो स्वीकृति प्रदान की गई वह फर्स्ट स्टेज की कार्रवाई थी। सेकंड स्टेप में इसे जिला स्तर और ब्लॉक स्तर पर क्रियान्वित करने के लिए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को प्रॉपर लीगल पेपर वर्क (MOU) करना था। राजनांदगांव स्वास्थ्य विभाग और जिला चिकित्सालय द्वारा पीपीपी मॉड्यूल के ऐसे योजनाओं का क्रियान्वयन प्रॉपर लीगल पेपर से कराया जाता रहा है। लेकिन खैरागढ़ स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस प्रक्रिया को पूर्ण नहीं करना अधिकारियों की कार्य प्रणाली पर सवाल खड़ा कर रहा है। इस संबंध में जब हमने खैरागढ़ सीएमएचओ डॉ. आशीष शर्मा से बातचीत की तो उन्होंने न सिर्फ मामले को संज्ञान में लेने की बात कही बल्कि राज्य स्तरीय रिपोर्ट आने के बाद उचित कार्रवाई का आश्वासन भी दिया है।

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