एक्स रिपोर्टर न्यूज़ । राजनांदगांव
सूचना का अधिकार अधिनियम को स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने खेल समझ रखा है। प्रथम आवेदन से लेकर प्रथम अपील की कार्रवाई मनमानी और नियम विरुद्ध तरीके से की जा रही है। सीधे कह तो स्वास्थ्य विभाग में सूचना का अधिकार अधिनियम को मजाक बनाकर रख दिया गया है। बीते दिनों फार्मा एजेंसी से दवाई खरीदी को लेकर सूचना का अधिकार लगाया गया था जिस पर जानकारी नहीं देने पर नियम अनुसार प्रथम अपील के लिए आवेदन दिया गया।
काफी इंतजार के बाद अपील प्रकरण की सुनवाई की गई। लेकिन इस सुनवाई में पक्षपात करते हुए विभाग के स्टोर प्रभारी के पक्ष में फैसला दिया गया। बयान देने के बावजूद अपीलार्थी की एक नहीं सुनी गई न ही लिखित रूप में बयान दर्ज किया गया। जबकि नियम अनुसार अपील प्रकरण के दौरान दोंनो पक्ष का बयान लिया जाता है और नोट शीट में दर्ज किया जाता है वो भी हस्ताक्षर के साथ। लेकिन स्वास्थ्य विभाग में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।
सरकारी कार्यों में पारदर्शिता और जनकल्याणकारी हित की वजह से राज्य सूचना आयोग समय-समय पर निर्देश जारी कर सूचना का अधिकार अधिनियम का कड़ाई से पालन और नियम संगत कार्रवाई करने के लिए प्रशासन और उनके विभागों को अपडेट करती रहती है। इसके बावजूद विभागीय अधिकारियों की मनमानी थमने का नाम नहीं ले रही है।
एनओसी नहीं देने को लेकर षड्यंत्र
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय स्टोर से नियम विरुद्ध तरह से मेडिसिन खरीदने के मामले को लेकर सूचना का अधिकार लगाया गया था। इसमें L-1, L-2, L-3, L-4, L-5, L-6, L-7 एजेंसी को छोड़कर L-8 एजेंसी को वर्क आर्डर देने के पीछे की वजह और प्राथमिक क्रम में मौजूद एजेंसियों से लिए गए एनओसी की कॉपी उपलब्ध कराने की मांग की गई थी।
जिस पर स्टोर प्रभारी ने दस्तावेज उपलब्ध ही नहीं कराए। क्योंकि उक्त एजेंसियों से एनओसी लिया ही नहीं गया है, जो एनओसी दिखाई गई है वह बिना सिर पैर की लेटर पेड पर हाथ से लिखी गई कच्ची एनओसी है, किसी भी स्थिति में सरकारी कार्य मे इसे मान्य ही नहीं किया जा सकता है। इसी पर पर्दा डालने के लिए विभाग द्वारा सूचना का अधिकार अपील में कूटरचना की गई।
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