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एक्स रिपोर्टर न्यूज़ । राजनांदगांव

गरीब और आमजन के नाम से हर महीने आवंटित होने वाले सरकारी राशन में जमकर गड़बड़ी की जा रही है। राशन दुकानों में खाद्यान्न का शॉर्टेज बताकर सेल्समेन चांदी काट रहे हैं। इन मामलों में कार्रवाई करने के बजाए खाद्य विभाग के अफसर AC दफ्तर में आराम फरमाने में लगे हुए हैं। गंभीर बात तो यह है कि एक ही बिल्डिंग में ऑफिस होते हुए भी कलेक्टर मामले को संज्ञान में लेने के बजाय खामोश बैठे हुए हैं।

Investigative reporter@राजनांदगांव: राशन दुकान के सेल्समेन बने दलाल, 16 से 20 रुपए में खरीद रहे सरकारी चावल, सत्ता पक्ष के बड़े नेता के राइस मिल में खप रहा पूरा माल, पॉलिस कर कमा रहे दोगुना मुनाफा…

जानकारी अनुसार जिले में संचालित शासकीय उचित मूल्य की दुकानों में सरकारी राशन की जमकर हेराफेरी की जा रही है। इसका प्रमाण बीते महीने कराए गए भौतिक मूल्यांकन में चुका है। सर्वे में पता चला कि दर्जनों दुकानों में लाखों रुपए कीमत के सरकारी राशन का शॉर्टेज है। सेल्समैन के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाए खाद्य अधिकारी ने उन्हें शॉर्टेज पूरा करने की मोहलत दे दी। वर्तमान में गिनती के कुछ दुकानदारों ने ही शॉर्टेज की पूर्ति की है जबकि अधिकांश सेल्समैन अभी भी रिकॉर्ड को दुरुस्त नहीं कर पाए है। कायदे से सरकारी राशन में हेरा फेरी करने के अपराध में सेल्समैन के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जानी थी लेकिन खाद्य विभाग के अफसर उल्टा सेल्समैन पर मेहरबानी करने में लगे हुए हैं। अधिकारियों की इस तरह की कार्यप्रणाली विभागीय सांठगांठ की ओर इशारा कर रही है।

सरकारी चावल की करा रहे पॉलिश, डोंगरगढ़ पहले स्थान पर

खाद्य विभाग के अधिकारियों के ढुलमुल रवैए की वजह से ही सरकारी राशन की हेराफेरी में इजाफा हुआ है। विशेषकर उचित मूल्य की दुकानों से हर महीने लाखों रुपए का राशन पार हो रहा है। सेल्समैन राशन कार्ड धारियों से ही चावल खरीद कर राइस मिल में बेच रहे हैं। यह कार्य सबसे ज्यादा डोंगरगढ़ क्षेत्र में हो रहा है। सरकारी चावल को पॉलिश करने के बाद ऊंचे दामों पर बेचा जा रहा है।

कभी निरीक्षण में नहीं जाते अधिकारी

वर्तमान में पदस्थ खाद्य अधिकारी कभी राशन दुकानों के निरीक्षण पर नहीं निकलते हैं और ना ही समय पर ऑफिस में मिलते हैं। ऐसे में सेल्समैन के हौसले और बुलंद हो चुके हैं वह बड़े पैमाने पर सरकारी राशन की हेरा फेरी करने लगे हैं। इस मामले को गंभीरता से लेने की जरूरत है क्योंकि लचर प्रशासनिक कार्यप्रणाली का फायदा उठाकर चुनिंदा लोग काले कारोबार को बढ़ावा दे रहे हैं।

सूचना का अधिकार का भी नहीं देते जवाब

खाद्य विभाग में अधिकारियों की मनमानी इस कदर हावी है कि वह शासन के गाइडलाइन को भी ठेंगा दिखाने में लगे हुए हैं। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि किसी भी जानकारी के लिए जब भी खाद्य विभाग में सूचना का अधिकार लगाया जाता है तो अधिकारी उसका जवाब ही नहीं देते हैं उटपटांग कारण बताकर मामले से पल्ला झाड़ने में लगे रहते हैं। गंभीर बात तो यह है कि शिकायत करने के बावजूद कलेक्टर भी इस मामले में रुचि दिखाने से परहेज करते हैं।

धान खरीदी के दौरान भी कार्रवाई का रिकॉर्ड रहा शून्य

खाद्य विभाग के अफसरों की निष्क्रियता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि समर्थन मूल्य में धान खरीदी के दौरान अधिकारियों द्वारा एक भी गड़बड़ी पकड़ी नहीं गई। न ही धान के अवैध परिवहन से जुड़े मामले में कार्यवाही की गई। जबकि इसके पहले के वर्षों में धान खरीदी के दौरान गड़बड़ी और धान के अवैध परिवहन मामले में जमकर कार्रवाई की जाती थी।
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कर्णकांत श्रीवास्तव
(B.J.M.C.)
सीनियर जर्नलिस्ट, फाउंडर एंड चीफ एडिटर- एक्स रिपोर्टर न्यूज़ वेबसाइट, मीडिया प्रभारी- जिला पत्रकार महासंघ राजनांदगांव एवं विशेष सदस्य- प्रेस क्लब राजनांदगांव।
मो. 9752886730

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