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एक्स रिपोर्टर न्यूज़। राजनांदगांव

शहर सहित जिलेभर में सरकारी राशन दुकानों में चावल की हेराफेरी थमने का नाम ही नहीं ले रही है। हालात ऐसे हैं कि आधे सरकारी राशन दुकानों के सामने चावल दलाल सक्रिय हैं, जो कि यहां आने वाले हितग्राहियों से चावल खरीदते हैं और इसे राइस मिलर्स को बेचते हैं। वहीं शेष राशन दुकानों के सेल्समैन ही राशन खरीद रहे हैं। इसके बावजूद प्रशासन की ओर से कार्रवाई नहीं की जा रही है।
राशन दुकानों में कार्डधारियों से सरकारी चावल 15 से 16 रुपये में खरीदकर इसे राइस मिलों को सप्लाई कर रहे हैं। दुकान संचालक भी खुद ही दुकानों में कार्डधारियों को चावल के बदले पैसे दे रहे हैं। विशेषकर डोंगरगढ़ क्षेत्र में यह कारनामा आम हो चुका है। यहां सरकारी दुकानों से खरीदे गए चावल को सत्ता पक्ष के किसी बड़े नेता के राइस मिल में भेजा जा रहा है। जहां इस सरकारी चावल को पॉलिस कर रंग बिरंगी बोरियों में भरकर एचएमटी चावल के दाम में बाजार में बेचा जा रहा है।

*कमा रहे डबल मुनाफा*
राशन दुकानों के सेल्समेन के अलावा कई दलाल गांव-गांव में फेरी कर घर-घर से सरकारी चावल खरीद रहे है। जो पीडीएस से उपभोक्ताओं को फ्री या कम कीमत में मिलने वाले चावल को 16-20 रुपये प्रति किलो की दर पर खरीदते हैं और उसे करीब 35 रुपये प्रति किलो की दर पर मिलरों को बेच देते हैं। फिर यही चावल मिलिंग कर 60 रुपये में बेचा जाता है।

*मामले में है सख्त कार्रवाई का प्रावधान*
सरकारी राशन विक्रय व खरीदी की मामले में सख्त कार्रवाई का प्रावधान है। इसमें राशन कार्डधारियों के द्वारा चावल बेचे जाने पर कार्ड रद्द करने की कार्रवाई, खरीदने वालों पर आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत एफआइआर, सरकारी दुकानदार द्वारा चावल खरीदने की शिकायत पर दुकान लाइसेंस सस्पेंड होने के साथ ही एफआइआर और सरकारी चावल का अवैध परिवहन करते वाहन पकड़े जाने पर वाहन जब्ती की कार्रवाई का प्रावधान शामिल है।

*अधिकतम सात वर्ष की हो सकती है सजा*
शlसन द्वारा सरकारी राशन की खरीद फरोख्त को बंद करने के लिए कड़े नियम बनाए हैं। जिसके तहत अगर बिचौलिया या फिर कोई भी दुकानदार राशनकार्ड धारकों की सामग्री खरीदता है, तो उसके खिलाफ छत्तीसगढ़ सार्वजनिक वितरण प्रणाली नियंत्रण आदेश 2016 व आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धारा 3 के तहत कार्रवाई करने का नियम है। जिसमें अधिकतम सात साल तक की सजा का प्रावधान भी किया गया है।
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