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  • राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन से ऋण लेकर व्यवसाय में मिल रहा लाभ

राजनांदगांव 9 नवम्बर। हितग्राही मूलक राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन अंतर्गत संचालित योजनाओे के तहत ऋण लेकर अपना व्यवसाय कर महिला पुरूष एवं समूह आत्म निर्भर बन रहे है। आज के समय मेें लोगों की सबसे बडी समस्या आजीविका की है। कोरोना महामारी के बाद यह समस्या विकराल हो गयी है। बहुत से परिवारों के समक्ष आजीविका चलाना कठिन हो गया है। क्योकि कोरोनाकाल में कई लोग अपने व्यवसाय व नौकरी को खो चुके है और तंगहाल जीवन व्यतित कर रहे है। ऐसी परिस्थिति में राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के तहत संचालित योजनाओं का सहारा लेकर लोग फिर से आत्म निर्भर बन अपने परिवार का कुशलता से भरण पोषण कर रहे है।
राजनांदगांव नगर निगम द्वारा शासन की राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के तहत संचालित हितग्राही मूलक योजनाओं का लाभ हितग्राहियों को दिया जा रहा है, जिले के परियोजना अधिकारी एवं निगम आयुक्त डॉ. आशुतोष चतुर्वेदी द्वारा योजना के संचालन के संबंध में दिशा निर्देश दे रहे है। योजना के प्रभारी श्री राम कश्यप एवं टीम विभिन्न हितग्राही मूलक योजनाओं के क्रियान्वयन के लिये महिला समूह एवं नागरिकों को प्रशिक्षण व लोन देकर आत्म निर्भर बना रहे है। संचालित योजनाओं में राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन योजना के तहत तीन प्रकार के ऋण लोगों को दिया जा रहा है, जिसमें व्यक्तिगत ऋण में 50 हजार से 2 लाख तक ऋण दिया जाता है। जिसमें हितग्राही अपने व्यवसाय को बडा या शुरू कर सकते है। समूह ऋण 1 लाख से 10 लाख तक दिया जाता है। जिसमें महिला समूह ऋण लेकर अपना व्यवसाय कर सकते है। इसी प्रकार बैंक लिंकेज में 50 हजार से 5 लाख रूपये तक ऋण लेने का प्रावधान है। जिसमें ऋण लेकर छोटा बडा व्यवसाय कर सकते है। उक्त योजना के माध्यम से शहरी गरीब अपना व्यवसाय प्रारंभ कर आत्म निर्भर बन रहे है।
राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन योजना के तहत वार्ड नं. 50 सिंदई निवासी श्रीमती शारदा देवांगन पति श्री हेमलाल देवांगन ने ऋण लेकर सौदर्य प्रसाधन की दुकान खोल लाभ अर्जित कर अपने परिवार का अच्छे से पालन पोषण कर रही है। श्रीमती देवांगन ने बताया कि मुझे राष्ट्रीय शहरी अजीविका मिशन अंतर्गत संचालित इस योजना के बारे में सामूदायिक संगठक द्वारा जानकारी दी गयी और ऋण के बारे में विस्तार से समझाया गया। उनके द्वारा आवेदन भराकर मुझे यूको बैक के माध्यम से 1 लाख रूपये का ऋण दिया गया, जिससे मै सिंगदई में ही मॉ शारदा श्रंृगार सदन के नाम से छोटी सी दुकान संचालित की उक्त दुकान अच्छे से चलनी लगी और मै बैक का ऋण आदायगी के बाद भी बचत कर अपने परिवार का पालन पोषण कर आर्थिक रूप से अपने आप को मजबूत कर रही हूॅ। उन्होंने बताया कि पहले मैं खेत में रोजी मजदूरी करने जाती थी, जिससे मेरे परिवार का भरण पोषण भी नही हो पाता था। किन्तु आज मैं आत्म निर्भर बन अच्छा जीवन यापन कर रही हूॅ।

By Amitesh Sonkar

Sub editor

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