कर्णकांत श्रीवास्तव
एक्स रिपोर्टर न्यूज। राजनांदगांव/छुरिया
स्वास्थ्य विभाग की निगरानी के अभाव में शहर सहित जिले भर में मेडिकल सेवाओं का अवैध कारोबार तेजी से फल-फूल रहा है। बिना लाइसेंस के सोनोग्राफी, क्लीनिक और डायग्नोस्टिक सेंटर का संचालन धड़ल्ले से किया जा रहा है। ऐसा ही एक मामला जिला मुख्यालय से लगभग 47 किलोमीटर दूर छुरिया नगर में सामने आया है। यहां ब्लड कलेक्शन सेंटर के नाम पर लाइसेंस लेकर शिवम मिनी पैथोलैब के संचालक लंबे समय से सोनोग्राफी, डायग्नोस्टिक और क्लीनिक का संचालन कर रहे थे। काफी समय से इसकी शिकायत मिल रही थी, लेकिन स्वास्थ्य महकमे की ओर से इस ओर कार्रवाई न होता देख मुख्यालय के पत्रकारों को इसकी जानकारी दी गई।
सूत्रों से मिली शिकायत और जानकारी की पुष्टि करने के लिए पत्रकारों की टीम छुरिया में संचालित शिवम पैथोलैब पहुंची। यहां सेंटर के अंदर में राजनांदगांव के गायनोलॉजिस्ट डॉक्टर की ओपीडी चल रही थी। साथ ही फ्लैक्स बोर्ड और दीवारों पर सोनोग्राफी करने से संबंधित सूचना चस्पा की गई थी। जब पत्रकारों ने शिवम पैथोलैब संचालक तोरण शर्मा से चर्चा कर कहा कि वे बिना लाइसेंस के क्लीनिक, सोनोग्राफी और डायग्नोस्टिक सेंटर का संचालन कैसे कर रहे हैं? तो संचालक गोलमोल जवाब देने लगे। इसके बाद कहने लगे कि वे सेवा का काम कर रहे हैं। गायनोलॉजिस्ट डॉक्टर सप्ताह में एक बार यहां सेवा देने आती है। पत्रकारों ने कहा कि बिना लाइसेंस ऐसा कार्य करना गलत है, तो संचालक कहासुनी में उतर आए। ब्लड कलेक्शन सेंटर का लाइसेंस भी तीन साल पहले यानी 20 अप्रैल 2019 को एक्सपायर हो चुका था। इसके बावजूद धड़ल्ले से सेंटर का संचालन किया जा रहा था।
फोन लगाया तो ब्लॉक मुख्यालय में नहीं थी बीएमओ
इसके बाद पत्रकारों ने छुरिया बीएमओ डॉक्टर रागिनी चंद्रे को फोन लगाया और पूरे मामले की जानकारी देकर तत्काल सेंटर की जांच करने का आग्रह किया। बीएमओ ने तत्काल पहुंचने की बात की। काफी देर हो जाने के बाद भी बीएमओ नहीं पहुंची तो फिर उन्हें फोन लगाया गया, उन्होंने कहा कि वह ब्लॉक मुख्यालय में नहीं है इसलिए नहीं पहुंच सकती। मेडिकल ऑफिसर को भेजने की बात कही। लगातार फोन करने पर लगभग 1 घंटे बाद छुरिया मेडिकल ऑफिसर डॉ. चंद्रशेखर वर्मा मौके पर पहुंचे। जानकारी अनुसार छुरिया बीएमओ डॉ. रागिनी चंद्रे छुरिया सरकारी क्वार्टर में नहीं रहती है, वे डोंगरगांव से आवागमन करती है, जो कि शासकीय सेवा नियमों का उल्लंघन है।
अधिकारी के पहुंचने से पहले मिटा दिए थे सबूत
जब तक मेडिकल ऑफिसर डॉ. वर्मा पैथोलैब में पहुंचे, तब तक संचालक ने सोनोग्राफी से संबंधित सबूत मिटा दिए थे और सामानों को हटा दिया था। यहां तक की दीवारों पर चस्पा पोस्टर भी फाड़ दिए गए थे। शिकायत के घंटे भर बाद पैथोलैब पहुंचे मेडिकल ऑफिसर डॉ वर्मा कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति करते नजर आए। जबकि वहां पर गायनोलॉजिस्ट डॉ. मिताली द्वारा ओपीडी लेने का प्रमाण स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा था। खुद डॉ. मिताली वहाँ मौजूद थी। इसके बावजूद मेडिकल ऑफिसर ने सिर्फ चेतावनी देकर मामले को रफा-दफा कर दिया, जबकि नियमतः बिना लाइसेंस के क्लीनिक संचालन के कृत्य में सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए थी।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से 40 कदम की दूरी पर संचालित है पैथोलैब, ब्लॉक मुख्यालय में नहीं रहने वाले बीएमओ के कार्यशैली पर उठे सवाल
इस मामले में शिकायत मिलने के बाद भी बीएमओ डॉ. चंद्रे की ओर से जांच में देरी करना अपने आप में ही कई सवालों को जन्म दे रहा है। हैरत की बात यह है कि शासकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से महज 40 कदम की दूरी पर संचालित इस लैब पर आज तक बीएमओ की नजर नहीं पड़ी? या फिर जानबूझकर ऐसे मामलों पर कार्रवाई नहीं की जा रही थी? यह जांच का विषय है। स्वास्थ विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को जल्द से जल्द इस मामले को संज्ञान में लेना चाहिए और शहर सहित जिले भर में संचालित अवैध पैथोलैब, डायग्नोस्टिक सेंटर, सोनोग्राफी सेंटर और क्लीनिक संचालकों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।
