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खैरागढ़ से नितिन कुमार भांडेकर की खास रिपोर्ट

खैरागढ़। खैरागढ़ विधानसभा में उप चुनाव की घोषणा हो गई है। घोषणा होते ही तत्काल जिले में आचार सहिंता भी प्रभावशील हो गया है। गुरुवार  से नामांकन भरने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। ऐसे में छत्तीसगढ़ के सत्ता में काबिज कांग्रेस सरकार की पार्टी और विपक्ष में बैठी भारतीय जनता पार्टी के द्वारा उक्त विधानसभा में अपने अपने प्रत्याशियों के चयन हेतु दोनों पार्टी के संगठन प्रमुखों के द्वारा राजधानी से लेकर जिला एवं नगर में सर्वे एवं बैठकें लेने का दौर शुरू हो गया है। खैरागढ़ विधानसभा में गत 15 वर्षों में हुए चुनाव परिणाम की यदि हम समीक्षा करें तो हमें प्रत्याशियों को लेकर कई तरह के सियासत समीकरण देखने को मिलता है। जहां पर कांग्रेस पार्टी को लोधी प्रत्याशियों से हमेशा निराशा ही हाथ लगी है। इसके बावजूद हर बार किसी एक जाति वर्ग से हमेशा दावेदारी की जाती रही है, इस बार भी इसे दोहराया जा रहा है। इन हालातों में कांग्रेस को उम्मीदवार चयन को लेकर काफी मशक्कत का सामना करना पड़ रहा है। सीधे कहे तो खैरागढ़ में जातिवाद का तिलिस्म प्रभावी नहीं है। राजनैतिक कौशल और बेहतर रणनीति बनाने वाले प्रत्याशी के माथे पर जनता विजय तिलक करते आई है।

होली का त्योहार सर पर है। नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। समय सीमा काफी कम है। ऐसे में कांग्रेस से टिकट लेने को लेकर प्रत्याशियों में घमासान मचा हुआ है। कुछ प्रमुख दावेदारों की दावेदारी सामने आई है। कांग्रेस से प्रबल दावेदारों में ऑल इंडिया प्रोफेशनल कांग्रेस राजनांदगांव के जिला अध्यक्ष उत्तम सिंह ठाकुर का नाम सबसे आगे चल रहा है। वहीं ब्लॉक कांग्रेस कमेटी खैरागढ़ की अध्यक्ष यशोदा नीलांबर वर्मा, पदमा सिंह, गिरवर जंघेल की दावेदारी भी सामने है। दूसरी ओर भाजपा से दावेदारों में जिला पंचायत उपाध्यक्ष विक्रांत सिंह और पूर्व विधायक कोमल जंघेल का नाम सामने आ रहा है।

यहां हम पाठकों को बताना चाहेंगे कि खैरागढ़ की जनता ने सदैव चुनाव में कांग्रेस पार्टी को चौका देने वाला परिणाम दिया है। जब स्व. देवव्रत सिंह को कांग्रेस पार्टी से खैरागढ़ विधानसभा के आम चुनाव में टिकट नहीं मिला तो उन्होंने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा देकर स्वर्गीय जोगी जी की क्षेत्रीय पार्टी में जॉइन कर इस विधानसभा से चुनाव लड़ा था। उस दौरान कोमल जंघेल, गिरवर जंघेल जैसे जातीय समीकरण पर प्रभाव रखने वाले नेताओं के बीच चुनाव हुआ था। परिणामस्वरूप देवव्रत सिंह चुनाव जीत गए थे। ऐसे कुछ और चुनाव परिणाम हम आपको बताते हैं, जो यह सिद्ध करते हैं कि जाति बाहुल्य वर्ग से ताल्लुकात रखने वाले प्रत्याशियों को चुनाव में सदैव निराशा हाथ लगी है।

जातिवाद का तिलिस्म नहीं है खैरागढ़ में प्रभावी

हम बात करते हैं बीते कुछ वर्षों के चुनाव की, जहां पर खैरागढ़ विधानसभा अन्तर्गत जिला पंचायत क्षेत्र के कुल 4 क्षेत्र क्रमांकों में चुनाव हुए। साल 2020 में जिला पंचायत चुनाव संपन्न हुई। जिसका परिणाम यहां के जाति बाहुल्य समीकरण को ध्वस्त कर चुकी है।

महिला प्रत्याशी प्रियंका जंघेल जो लोधी समाज की थी वह लोधी बाहुल्य क्षेत्र से प्रत्याशी प्रियंका ताम्रकार (पिछडा़ वर्ग से) से हार गई थीं।

महिला प्रत्याशी दशमत जंघेल (लोधी समाज से लोधी बाहुल्य क्षेत्र से) पुरुष प्रत्याशी -विक्रांत सिंह से (समान्य वर्ग से लोधी बाहुल्य क्षेत्र से) हार गई थी।

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