कार्यशाला का द्वितीय दिवस: शोध प्रोजेक्ट एवं शोध पत्र लेखन की बारीकियों के बारे में जाना
- रिसर्च मेथोडोलॉजी में 5 दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का द्वितीय दिवस
राजनांदगांव। शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ के.एल टांडेकर के मार्गदर्शन एवं डॉ अनीता शंकर विभागाध्यक्ष अंग्रेजी विभाग के नेतृत्व में अंग्रेजी विभाग एवं इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय, खैरागढ़ के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित 5 दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला द्वितीय दिवस कार्यशाला सम्पन्न।
शासकीय वी. वाय. टी. स्वशासी महाविद्यालय, दुर्ग सहायक प्राध्यापक अंग्रेजी डॉ. सोमाली गुप्ता ने “Research: It’s All in the Name” विषय पर पावर पॉइण्ट प्रेजेंटेशन के माध्यम से अपना व्यक्तव्य दिया। शोध प्रोजेक्ट एवं शोध पत्र लेखन की बारीकियों से प्रतिभागियों को अवगत कराया। डॉ. गुप्ता ने बताया कि शोध पत्र लेखन में केवल वर्त्तमान काल का प्रयोग, व्याकरण की गलतियां न, छोटे और सरल वाक्यों का प्रयोग, तकनिकी टर्म और जार्गन का प्रयोग, काम से काम करने की जानकारी दी। वहीं रिसर्च की पूरी रूपरेखा के बारे में सविस्तार से बताया, शोधार्थियों को ऐसे रिसर्च टॉपिक लेने को प्रेरित किया जिससे वे लगाव महसूस करते हों। अंग्रेजी विषय में शोध क्षेत्र में वर्त्तमान समय में नवीन विषयों की सूची भी उपलब्ध कराई। नवीन शोधार्थियों को अंतर्विषयक रिसर्च करने हेतु भी प्रेरित किया। जेंडर स्टडी से सम्बंधित नए विषयों से भी शोधार्थियों को अवगत कराया एवं साहित्य के समाज निर्माण में महत्व पर प्रकाश डाला।
वहीं द्वितीय वक्ता से रूप में रेणुका कॉलेज नागपुर, प्राचार्य. डॉ. ज्योति पाटिल ने “Research Tools for Literary Research and Latest Style Citations” विषय पर डायनामिक पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से शोधार्थियों द्वारा ऑनलाइन रिसर्च टूल्स के उपयोग पर जोर दिया किन्तु वे ऑथेंटिक होने की बात कही एवं उनके साइटेशन उपयुक्त होने चाहिए। शोधार्थियों को शोध कार्य के प्रारम्भ में प्रिंट एवं ऑनलाइन रिसोर्सेज जो अपने महाविद्यालय या विश्वविद्यालय में उपलब्ध हैं उनकी जानकारी एकत्रित करना चाहिए। उन्हें अन्य ऑनलाइन रिसोर्सेज जैसे ब्रिटिश लाइब्रेरी, एन लिस्ट इत्यादि की जानकारी भी एकत्रित करनी चाहिए। विभिन्न ऑनलाइन रिसर्च टूल्स जैसे प्रोजेक्ट मैनेजर टूल्स, अकादमिक राइटिंग टूल्स, जर्नल फाइंडर टूल्स, ग्रामर चेकर टूल्स इत्यादि की भी जानकारी दी। गूगल स्कॉलर, रिसर्च गेट एवं प्लेगिएरिस्म चेकर सॉफ्टवेयर की उपयोगिया के बारे में भी उन्होंने सविस्तार बताया। डॉ. पाटिल ने प्रतोभागियों को गूगल को शोध हेतु नए तरीके से उपयोग करना बताया। गूगल बुक्स, विकी बुक्स, सोशल बुकमार्किंग के बारे में भी जानकारी दी। डॉ. पाटिल ने साइटेशन हेतु उपयोग में लाने वाले MLA हैंडबुक के 8 वे एवं 9 वे एडिशन के मध्य अंतर को भी बारीकी से समझाया।
संस्था प्रमुख डॉ. के. एल टांडेकर ने कहा की दोनों ही वक्ता अपने-अपने क्षेत्र में महारत हासिल वक्त थे। प्रतिभागियों को इससे बहुत लाभ होगा। विभाग के शोधार्थी सुनील कुमार एवं प्रोफेसर चन्दन सोनी ने वक्ताओं का संछिप्त परिचय दिया। कार्यक्रम का संचालन सुश्री मंजरी सिंह एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रोफेसर चन्दन सोनी ने किया।

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