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राजनांदगांव। भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितता में घिरे राजीव गांधी शिक्षा मिशन के निलंबित डीएमसी भुपेश साहू की परेशानी कम होती नजर नही आ रही है। पहले उच्च कार्यालय से निलंबन हुआ तो मलाईदार पद गया और निलंबन के पश्चात् एफआईआर की मांग हो रही है तो वहीं दूसरी तरफ अब उनके नियुक्तियों की जांच की मांग भी होने लगी है।
छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल का कहना है कि भूपेश साहू मूलतः आदिमजाति विकास विभाग यानि ट्रायबल विभाग के व्याख्याता है। उनकी शिक्षा विभाग में एंट्री कैसे हुई और फिर राजीव गांधी शिक्षा मिशन में प्रतिनियुक्ति और फिर जिला मिशन समन्वयक के पद पर नियुक्ति, ट्रायबल के कर्मचारी का शिक्षा विभाग में सीधे कलेक्टर द्वारा नियुक्ति, अब जांच का विषय बना गया है। पॉल का कहना है कि भुपेश साहू प्रतिनियुक्ति पर थे तो कलेक्टर राजनांदगांव के द्वारा उन्हे नियुक्ति ओदश कैसे जारी कर दिया था जबकि जिला मिशन समन्वयक के पद पर प्रतिनियुक्ति के लिए प्रस्ताव कलेक्टर को भेजा था लेकिन कलेक्टर ने नियुक्ति आदेश जारी कर दिया था। पॉल के द्वारा भुपेश साहू की प्रथम नियुक्ति, प्रथम प्रतिनियुक्ति, द्वितीय प्रतिनियुक्ति और नियुक्ति आदेश की जांच करने शिक्षा विभाग से सचिव से मांग की गई है।

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