छत्तीसगढ़ के प्रथम शहीद थे वीर नारायण सिंह – डाॅ. सिंह
- शहीद वीर नारायण सिंह जयंती मनाई गई
राजनांदगांव। शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय के इतिहास विभाग द्वारा प्राचार्य डाॅ. के.एल. टांडेकर के मार्गदर्शन में शहीद वीर नारायण सिंह जयंती मनाई गई। विभागाध्यक्ष डाॅ. शैलेन्द्र सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ के प्रथम सेनानी वीर नारायण सिंह का जन्म सोनाखान में हुआ। वे वहां के जमींदार थे। सोनाखान क्षेत्र में भीषण अकाल पड़ने पर उन्होने कसडोल के व्यापारी माखनलाल से किसानों को अनाज देने का आग्रह किया था, किंतु उन्होंने मना कर दिया। ऐसी स्थिति में उन्होने गोदाम से अनाज लूटकर प्रजा में बांट दिया। अंग्रेजों को यह बात सहन नही हुई और उन्हे गिरफ्तार कर लूटपाट के आरोप में रायपुर जेल में डाल दिया। 27 अगस्त 1857 को वे जेल तोडकर भाग निकले और उन्होने 500 आदिवासी सैनिकों के दल का गठन कर लिया। बाद में रायपुर के कमिश्नर चाल्र्स इलिएट के आदेश पर लेफ्टिनेट स्मिथ और नेपियर ने वीर नारायण सिंह को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया। 10 दिसंबर 1857 को उन्हे रायपुर के जयस्तंभ चैक में फांसी की सजा दे दी गई। वीर नारायण सिंह छ.ग. के प्रथम शहीद माने जाते है।
इस अवसर पर एन.सी.सी. अधिकारी प्रो. के.एल. दामले इतिहास विभाग के प्रो. हीरेन्द्र बहादुर ठाकुर, रजिस्ट्रार दीपक कुमार परगनिहा, एन.एस.एस. अधिकारी प्रो. नूतन देवांगन एवं प्रो. संजय देवांगन, प्रो. हेमलता साहू के साथ इतिहास विभाग, एन.सी.सी. तथा एन.एस.एस. के छात्र उपस्थित थे।

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