छुरिया से सूरज लहरे की रिपोर्ट
छुरिया। राजनांदगांव जिला पंचायत अध्यक्ष गीता घासी साहू ने छत्तीसगढ़ शासन के कांग्रेस सरकार द्वारा रेडी टू ईट फूड योजना को स्व सहायता महिला समूह से छिनने पर भूपेश सरकार की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि सत्ता के नशे में मदमस्त होकर स्व: सहायता समूह की रोजी रोटी छीन रही हैं। ऐसे सरकार को आने वाले दिनों में महिला समूह कभी माफ नहीं करेगी। महिला समूहों द्वारा आने वाले दिनों में भूपेश सरकार के खिलाफ उग्र धरना प्रदर्शन की जाएगी। प्राप्त जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ में अब रेडी-टू-ईट योजना का केंद्रीयकरण किया जा रहा है। इसकी जिम्मेदारी राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम को सौंपी गई है।
छत्तीसगढ़ में चल रही रेडी टू ईट योजना से महिला स्व सहायता समूह को बाहर कर दिया गया है। यानि कि वे अब इसमें काम नहीं करेंगी। इसके चलते प्रदेश के करीब 30 हजार स्व सहायता समूह की 3 लाख से ज्यादा महिलाओं के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है। राजनांदगांव जिला में 80 से ज्यादा समूह काम कर रही हैं जिसमें कम से कम 1500 से 2000 महिलाओं को काम मिल रही है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ट्वीट कर केंद्रीयकरण किए जाने की जानकारी दी है। इसके बाद महिलाओं का गुस्सा फूट पड़ा है।
दरअसल, पूरक पोषण आहार व्यवस्था के तहत टेक होम राशन में रेडी टू ईट फूड निर्माण महिला स्व सहायता समूह कर रहे थे। वही इसके वितरण की जिम्मेदारी भी संभालते। इन योजना में आंगनबाड़ी केंद्रों के बच्चों से लेकर किशोरियों और शिशुवती महिलाओं को तैयार भोजन दिया जाता है। अब इस योजना को सेंट्रलाइज किया जा रहा है। इसके बाद राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम द्वारा स्थापित इकाइयों के माध्यम इसका निर्माण और वितरण किया जाएगा। जिसके चलते स्व सहायता समूह के महिलाओं को रोजगार से वंचित होना पड़ेगा।
साल 2009 से संचालित है योजना
राज्य में यह योजना साल 2009 से संचालित है। इसके लिए 500 करोड़ रुपए से ज्यादा का बजट तय किया गया है। जिसे महिला बाल विकास विभाग के जरिए आंगनबाड़ी केंद्रों के बच्चों के साथ ही अन्य लोगों को दिए जाने वाले रेडी-टू ईट फूड पर खर्च किया जाता है। इसका बड़ा हिस्सा आंगनबाड़ी केंद्रों में आने वाले बच्चों पर जाता है। फूड में मिलाए जाने वाले खाद्य पदार्थों में गेहूं का आटा, सोयाबीन, सोयाबीन तेल, शक्कर, मूंगफली, रागी और चना शामिल हैं।
