फाइल फोटो
राजनांदगांव। शिवनाथ नदी के किनारे मिट्टी व रेत की अवैध खोदाई से नदी की दिशा बदल रही है। इससे नदी किनारे बसने वाले बस्तियों पर खतरा मंडरा रहा है। इसकी शिकायत खनिज विभाग सहित जिला प्रशासन से होने के बाद भी इस पर रोक नहीं लगाई जा रही है। अवैध खोदाई पर रोक नहीं लगने के कारण नदी किनारे बसने वाली बस्तियों के लोगों में रोष का माहौल है। शिवनाथ नदी के किनारे सिंगदई वार्ड 50 के निवासियों ने ईंट बनाने के लिए नदी किनारे की खोदाई व रेत निकासी पर रोक लगाने की मांग की है। वार्डवासियों खोदाई पर रोक लगाने के लिए जिला प्रशासन, खनिज अधिकारी, महापौर व आयुक्त सहित बसंतपुर थाने में आवेदन दिया है।
वार्डवासियों ने बताया कि उनके वार्ड में नदी किनारे 60-70 सालों से ईंट बनाने के लिए मिट्टी की खोदाई की जा रही है। इसके अलावा यहां से अवैध रूप से रेत निकासी का भी खेल चल रहा है। इसके चलते नदी के किनारे सैंकड़ों एकड़ जमीन की नियम विपरीत खोदाई की जा चुकी है। इससे बारिश के दिनों में नदी का पानी बस्तियों में घुस जाता है और वार्डवासियों की जान जोखिम में पड़ जाती है।
ईंट निर्माण की आड़ में रेत की अवैध निकासी
शिवनाथ नदी किनारे बहुत जगहों पर लाल ईंट बनाने का कार्य वर्षांे से चल रहा है। नदी किनारे भट्टा संचालित करने वाले लोग भट्टे की आड़ में नदी से अवैध रेत की निकासी भी कर रहे हैं। रेत की अवैध निकासी कर मोटी रकम कमा कर शासन-प्रशासन को राजस्व का चूना लगा रहे हैं। ऐसा नहीं कि खनिज विभाग और प्रशासन को इसकी जानकारी नहीं है, लेकिन विभाग के अफसर किसी प्रकार की शिकायत नहीं होने की बात कहकर पलड़ा झाड़ लेते हैं।
नहरनाली पर भी अवैध कब्जा
इधर सिंगदई वार्ड से निकलकर मोहड़ होते हुए कन्हारपुरी की ओर गए नाले के किनारे भी अवैध कब्जा की जा चुकी है। इससे आवाजाही के लिए रास्ता और पशुओं को चारागाह नहीं मिल पा रहा है। वार्डवासियों ने इसे कब्जा मुक्त करा नहरनाली के दोनों किनारे में वृहद रूप से पौधरोपण कराने की मांग की है। ताकि पर्यावरण संरक्षण में मदद हो सके और जमीन को कब्जामुक्त कर किसानों को रास्ता और पशुओं को चारागाह नसीब हो सके। इसे कब्जामुक्त कराने में भी निगम प्रशासन गंभीरता नहीं दिखा रहा। जबकि इसी नहरनाली का उपयोग शहर के गंदा पानी को मोहड़ में निर्मित वाटर ट्रीटमेंट प्लांट तक लाने के लिए किया जा रहा है।
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