IMG-20241026-WA0010
previous arrow
next arrow

निम्न व मध्यवर्गीय व्यक्ति थे मुक्तिबोध : डॉ. पांडेय

  • सहज नहीं, गूढ़ रचनाकार हैं – मुक्तिबोध
  • जन्म दिन पर आयोजित हुआ एक दिवसीय व्याख्यान

राजनांदगांव। मुक्तिबोध की 104वीं जयंती पर दिग्विजय महाविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा एक दिवसीय व्याख्यान का आयोजन किया गया। ‘मुक्तिबोध का साहित्य दर्शन’ विषय पर आधारित इस व्याख्यान में नागपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज कुमार पांडेय और दिल्ली से पधारे श्री मोहित कृष्ण ने मुख्य वक्ता के रूप में व्याख्यान दिए।

प्राचार्य डॉ. बी.एन.मेश्राम की अध्यक्षता में आयोजित इस व्याख्यान का विषय प्रवर्तन विभागाध्यक्ष डॉ. शंकर मुनि राय के व्याख्यान से हुआ। कार्यक्रम का संचालन डॉ. नीलम तिवारी ने किया और डॉ. बी.एन. जागृत ने आभार प्रकट किया। व्याख्यान से पूर्व महाविद्यालय के स्टाफ और विद्यार्थियों द्वारा त्रिवेणी परिसर स्थित मुक्तिबोध, बख्शी जी और बलदेव प्रसाद मिश्र की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की गई।

विषय प्रवर्तन के दौरान डॉ. शंकर मुनि राय ने कहा कि मुक्तिबोध इस संस्था के लिए धरोहर और प्रेरक साहित्यकार हैं। हम उनके साहित्य दर्शन को जीवन-दर्शन मानकर पढ़ते और पढ़ाते हैं, उनके साहित्य को किसी वाद और विवाद से अलग रख कर समझना चाहिए। आप सहज नहीं, गूढ़ रचनाकार हैं। आप मनोरंजन नहीं, चिंतन के साहित्यकार है। श्री मोहित कृष्ण ने कहा कि मुक्तोबोध का साहित्य छायावाद से लेकर नई कविता के युग तक का साहित्य है, उसमे प्रगतिवाद, प्रगोगवाद और आधुनिक कविता का संस्कार बसा हुआ है।

मुख्या वक्ता डॉ. मनोज कुमार पांडेय ने कहा कि मुक्तिबोध निम्न व मध्यवर्गीय व्यक्ति थे। वे प्रतीकों के कवि हैं। उनकी समस्त कृतियाँ प्रतीकात्मक ही हैं। इस प्रकार आप ने मुक्तिबोध की प्रसिद्ध कहानी ‘पक्षी और दीमक’ का उल्लेख किया। साथ ही ‘समझौता’ कहानी की व्याख्या करते हुए कहा कि मुक्तिबोध समझौतावादी, नहीं, स्वतंत्र चितन के रचनाकार है। उनका मानना है कि प्रतिबंधों की दीवार के बीच रहकर व्यक्ति एक सच्चे इंसान के रूप में समाज सेवा नहीं कर सकता है। यही कारण है कि मुक्तिबोध किसी भी सेवा में बहुत दिनों तक नहीं टिक पाए।

डॉ, बी.एन. जागृत ने मुक्तिबोध के रचना संसार का उल्लेख करते हुए कहा कि उनकी कृतियां पाठक को झकझोरने वाली हैं। हमें गर्व है कि हम उनके रचना दर्शन को पढ़ते और पढ़ते हैं. कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉ. नीलम तिवारी ने मुक्तिबोध की प्रसिद्ध कविता ‘अँधेरे में’ को अपनी पसंदीदा रचना बताया और उसका पाठ भी किया।

By Amitesh Sonkar

Sub editor

error: Content is protected !!