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राजनांदगांव। छत्तीसगढ़-महाराष्ट्र सीमा पर शनिवार को पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ में मारे गए 26 में से 16 नक्सलियों की पहचान हो चुकी है। मारे गए नक्सलियों में लगभग पौने दो करोड़ रुपए का इनामी नक्सली MMC जोन इंचार्ज दीपक तिलतुमडे भी शामिल था। Intelligence report मिली थी कि दीपक पिछले 6 महीने से लड़ाकों की फ़ौज तैयार कर रहा था।

दीपक तिलतुमड़े गढ़चिरौली में सुरक्षाबलों के हाथों मारे जाने की अधिकृत पुष्टि हो गई है । सूत्रों के मुताबिक दीपक तिलतुमड़े को नक्सल रणनीति बनाने में महारत हासिल थी । साथ ही वह अपने साथियों को ट्रेनिंग देने में भी माहिर था । बस्तर के बीजापुर के भैरमगढ़ क्षेत्र के उत्तरी इलाके में पिछले छह माह से दीपक महाराष्ट्र , मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ ( एमएमसी जोन ) में पुलिस से लड़ने के लिए लड़ाको की एक फौज तैयार कर रहा था । खुफिया एजेंसी के पास खबर थी कि बस्तर से ट्रेन्ड नक्सलियों को लेकर दीपक एमएमसी जोन में दाखिल होने के लिए निकला था। दीपक तिलतुमड़े की बदौलत एमएमसी जोन को मजबूत बनाने के लिए बालाघाट को एक बड़ा बेस केम्प बनाया जा रहा था।

बस्तर में पुलिस की बढ़ती दखल के कारण तलाश कर रहे थे नया ठिकाना

बस्तर में पुलिस की बढ़ती दखल के कारण नक्सल संगठन ने बालाघाट को नए ठिकाने के तौर पर तैयार करने की योजना में काम भी शुरू किया था । दीपक तिलतुमड़े की गतिविधियों से तीनों राज्यों की पुलिस बखूबी वाकिफ थी । उसे घेरने के लिए कई बार सुरक्षा बलों ने जंगल में हमले भी किए , लेकिन वह बचकर निकल जाता था । दीपक तिलतुमड़े लगातार संगठन में रहते हुए सीसी मेम्बर के पद पर पहुंचा । जिसके चलते महाराष्ट्र में 50 लाख , छत्तीसगढ़ में 50 और मध्यप्रदेश में 15 लाख रुपए का ईनाम घोषित किया गया था । करीब पौने दो करोड़ के ईनामी नक्सली दीपक को मारने के लिए तीनों राज्यों की पुलिस को 30 वर्ष का समय लग गया।

देशभर में खुफिया तरीके से संगठन के विस्तार की संभावना तलाशने करता था दौरा

सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार दीपक की नक्सल संगठन को विस्तार करने में भी अहम भूमिका रही है । वह देशभर के अलग – अलग राज्यों में खुफिया तरीके से संगठन के विस्तार की संभावना को तलाश करने के लिए भी दौरा करता रहा है । गढ़चिरौली पुलिस के हाथों  दीपक के मारे जाने से नक्सली संगठन को बड़ा झटका लगा है। क्योंकि दीपक के कई अहम रणनीति पर काम करने से संगठन को ताकत मिली थी । दीपक को मिलिन्द , सुधीर और जीवा के नाम से भी उसे पहचाना जाता था । दीपक का इतिहास शुरू से हिंसक वारदात से भरा हुआ है । नक्सल संगठन में शामिल होते ही उसने कई वारदातों को क्रूरता के साथ अंजाम दिया । 1991-92 में दीपक मजदूर यूनियन से जुड़ा रहा । चंद्रपुर में यूनियन के हड़ताल के दौरान उसने एक कारखाना के मैनेजर की उसके चेम्बर में जाकर हत्या कर दी थी । उसके बाद से वह कभी भी सार्वजनिक रूप से नजर नहीं आया । पुलिस रिकार्ड में वह एक हत्यारा था । बाद में उसकी पतासाजी में यह बात सामने आई कि वह अब नक्सलियों के साथ जुड़ गया है ।

दीपक का परिवार भी है माओवाद समर्थक

एक न्यूज़ वेबसाइट में प्रसारित खबर के मुताबिक दीपक तिलतुमड़े का परिवार माओवाद समर्थक है । पुणे में हुए भीमा – कोरेगांव हिंसा में दीपक के बड़े भाई को भी पुलिस ने आरोपी बनाया है। बड़ा भाई वकील हैं । इसी के साथ दीपक की पत्नी भी माओवादियों के सहयोगी के आरोप में फिलहाल जमानत में बाहर है । दीपक का एक भाई भी वकील है । उस पर भी माओवादी विचारधारा रखने का आरोप है । दीपक तिलतुमड़े की तलाश में लंबे समय से तीनों राज्यों की पुलिस जंगल में खाक छानती रही है । दीपक ने एमएमसी जोन में अपनी पकड़ मजबूत कर ली थी । वह लगातार ट्रेंड नक्सलियों को जोन में शिफ्ट करने की दिशा में काम कर रहा था । बालाघाट और राजनांदगांव सरहद पर बड़ी संख्या में नए नक्सली सक्रिय हुए हैं । यह दीपक तिलतुमड़े की सोच का नतीजा था कि नए माओवादियों को पुलिस से लड़ने के लिए जंगल में उतारा जाए । नक्सल संगठन के लिए यह एक बड़ा झटका है कि दीपक के अलावा कल मुठभेड़ में कुख्यात नक्सली मारे गए हैं । दीपक के मारे जाने से राजनांदगांव और कवर्धा पुलिस के लिए भी यह राहत की सूचना है ।

10 नक्सलियों की पहचान होना अभी भी बाकी

गढ़चिरौली के मर्दीनटोला जंगल में मारे गए नक्सलियों के शव पुलिस ने बरामद किए हैं । पुलिस को कुल 26 नक्सल शव मिले हैं । जिसमें 10 की पहचान नहीं हुई है । मारे गए नक्सलियों में सर्वाधिक ईनामधारी दीपक तिलतुमड़े है , जिस पर 90 लाख रुपए का ईनाम है । इसी तरह दूसरे सर्वाधिक ईनामी नक्सलियों में महेश उर्फ शिवाजी राव और लोकेश उर्फ मंगू पर क्रमश : 16 और 20 लाख का ईनाम है । इसी तरह किशन उर्फ जैमन और सन्नू उर्फ कोवाची पर 8-8 लाख रुपए ईनाम था । पुलिस ने मुठभेड़ में भगत सिंह उर्फ प्रदीप जाड़े पर 6 लाख रुपए का भी ईनाम था । उक्त नक्सली दीपक तिलतुमड़े का बॉडीगार्ड था । फोर्स ने 4-4 लाख के 7 नक्सलियों को भी ढ़ेर किया है । सबसे कम 2 लाख के ईनामी नक्सली चेतन पदा को भी पुलिस के हाथों मरना पड़ा । कुल मिलाकर पुलिस ने दीपक तिलतुमड़े के ईनामी रकम के साथ करीब 2 करोड़ 3 लाख रुपए के नक्सलियों को मार गिराया है ।

मौका ए वारदात से काफी मात्रा में हथियार बरामद

नक्सलियों के मारे जाने के बाद पुलिस ने मौके से करीब ढ़ाई दर्जन हथियार भी बरामद किए हैं । पुलिस ने घातक हथियारों में 5 नग एके -47 , 9 नग एसएलआर , एक नग एनसॉस , एक नग एके -47 के साथ संबंधित यूबीजीएल , 3 नग 303 , 9 नग 12 – बोर , एक पिस्टल समेत कुल 29 हथियार बरामद किए हैं । पुलिस ने कुल 26 नक्सलियों को मार गिराया है । जिसमें 10 की पहचान होना बाकी है । पुलिस ने 6 महिला नक्सलियों को मुठभेड़ में निशाना बनाया है । इस तरह पुलिस को एक बड़ी नक्सलियों को मारने में सफलता मिली है । मारे गए नक्सलियों में ज्यादातर बस्तर के नक्सली हैं । पुलिस ने एक सीसीएम समेत दो डीवीसीएम , 2 कमांडर , एक एसीएम , 4 पीपीसीएम और 4 सदस्य समेत दो नक्सलियों को भी मारा है । मारे गए ज्यादातर नक्सली अपने – अपने इलाकों के कुख्यात माने जाते थे । उनके मारे जाने से नक्सलियों को बड़ा झटका लगा है।

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