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देवउठनी एकादशी से शुरू हो रहे शादी-ब्याह के मौसम में बाल विवाहों की रोकथाम के लिए सजग रहे प्रशासन : कृषक सहयोग संस्थान

कवर्धा। देवउठनी एकादशी से शुरू होने वाले शादी-विवाह के मौसम के मद्देनजर कबीरधाम जिले में बाल विवाह के खिलाफ मुहिम चला रहे गैरसरकारी संगठन कृषक सहयोग संस्थान ने जिला प्रशासन व जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण (डीएलएसए) से बाल विवाहों की रोकथाम के लिए सख्त निगरानी और अत्यधिक सतर्कता बरतने का अनुरोध किया है। संगठन ने जिला प्रशासन को भेजी गई चिट्ठी में बाल विवाहों की रोकथाम सुनिश्चित करने के लिए कड़ी चौकसी की अपील की है ताकि ऐसी कोई भी घटना प्रशासन की जानकारी से ओझल नहीं रह सके और तत्काल कार्रवाई की जा सके। साथ ही, जन-जन तक यह संदेश पहुंचाना आवश्यक है कि यदि किसी भी व्यक्ति के पास किसी संभावित बाल विवाह की जानकारी है तो वह तत्काल पुलिस हेल्पलाइन (112), चाइल्ड हेल्पलाइन (1098) या स्थानीय थाने को सूचित करे ताकि इस अपराध को रोका जा सके।

संगठन ने एक नवंबर से शुरू हो रहे शादी ब्याह के मौसम को देखते हुए जिला प्रशासन से सरपंचों, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और पुलिस को अतिरिक्त सतर्कता बरतने का निर्देश देने की अपील की है। इसके साथ ही संगठन ने आज से ही गांवों और स्कूलों में बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता अभियान को गति देने का फैसला करते हुए धार्मिक नेताओं से भी इस मौके पर अतिरिक्त सतर्कता बरतने की अपील की है।

कृषक सहयोग संस्थान के निदेशक डॉ० एच०बी० सेन ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने 2024 के अपने ऐतिहासिक फैसले में जिलों को बाल विवाहों की रोकथाम के लिए सतर्क रहने को कहा है। हम जिला प्रशासन से सिर्फ सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों पर अमल की मांग कर रहे हैं। केंद्रीय महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय ने भी वर्ष 2030 तक बाल विवाह के खात्मे के लक्ष्य के साथ 27 नवंबर 2024 को ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ अभियान की शुरुआत की थी। आज हम बाल विवाह के खात्मे के मुहाने पर खड़े हैं । हालांकि इस दिशा में हमारे प्रयास अर्से से जारी हैं लेकिन यह एक अहम समय है क्योंकि बहुत सारे परिवार इस शुभ मुहूर्त का उपयोग बच्चों की शादी के लिए लिए करते हैं। इस शुभ मुहूर्त की गरिमा को बनाए रखने के लिए हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि एक भी बाल विवाह नहीं होने पाए।

कृषक सहयोग संस्थान बाल अधिकारों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए देश के नागरिक समाज संगठनों के सबसे बड़े नेटवर्क जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन का सहयोगी संगठन है। संगठन भारत सरकार की ओर से पिछले साल शुरू किए गए ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ अभियान के नक्शेकदम पर पिछले कई वर्षों से जिले को बाल विवाह मुक्त बनाने के लिए लगातार जमीनी प्रयास कर रहा है। सुरक्षा, बचाव व अभियोजन मॉडल मॉडल पर अमल करते हुए संगठन स्कूलों, समुदायों व गांवों में जागरूकता अभियान चला रहा है; बाल विवाह के खिलाफ लड़ाई में धार्मिक नेताओं को जोड़ रहा है और अपराधियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए कानून लागू करने वाली एजेंसियों के साथ करीबी सहयोग से काम कर रहा है।

संगठन ने जिला प्रशासन को सभी सरपंचों को यह निर्देश देने को कहा है कि वे अपने गांव में होने जा रहे सभी विवाहों की निगरानी करें और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं से अपने इलाके में इन विवाहों की सूची तैयार करें। साथ ही, स्कूलों को भी सतर्क किया जाए कि इन दिनों अगर कोई बच्चा गैरहाजिर है तो वे इसकी वजह पता करें।

संगठन ने सभी धार्मिक नेताओं और विवाह समारोह में टेंट, सजावट या बैंड बाजा मुहैया कराने वाले सेवा प्रदाताओं से अनुरोध किया है कि वे सुनिश्चित करें कि वे किसी भी बाल विवाह में अपनी सेवाएं देकर इसका हिस्सा नहीं बनेंगे। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम (पीसीएमए) 2006 के अनुसार जो भी किसी भी तरह से बाल विवाह में भागीदारी करता है, सेवाएं प्रदान करता है, इसे संपन्न या निर्देशित करता है, उसे दो साल का सश्रम कारावास और एक लाख रुपए जुर्माना या दोनों हो सकता है। इसमें वे भी शामिल हैं जो इसे प्रोत्साहित करते हैं, स्वीकृति देते हैं या जानबूझ कर इसकी जानकारी देने में नाकाम रहते हैं जिसमें आयोजक, अतिथि और सेवा प्रदाता भी शामिल हैं।

By Rupesh Mahobiya

Bureau Chief kawardha

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