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राजनांदगांवभाजपा झुग्गी झोपड़ी प्रकोष्ठ के जिला संयोजक मनोज निर्वाणी ने साय सरकार से निवेदन करते हुए कहा कि तेंदूपत्ता संग्राहकों के बोनस राशि में से साढ़े 6 करोड़ रुपए हजम करने वाले डीएफओ की संपत्ति कुर्क कर राशि की वसूली की जानी चाहिए। साथ ही डीएफओ के खिलाफ सख्त से सख्त कानूनी कार्रवाई भी की जानी चाहिए। श्री निर्वाणी ने मामले में प्रकाश डालते हुए बताया कि राज्य सरकार ने 4 साल बाद सुकमा के उस DFO को निलंबित कर दिया है, जिस पर आरोप है कि उसने आदिवासी तेंदूपत्ता श्रमिकों के बोनस की लगभग साढ़े 6 करोड़ की रकम पर ही हाथ साफ कर दिया था। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार के इस कड़े फैसले से नौकरशाही में हड़कंप है। दरअसल, बस्तर के सुकमा में वर्ष 2021 में तेंदूपत्ता श्रमिकों के लिए जारी बोनस की बड़ी राशि संग्राहकों को सिर्फ कागजों में ही वितरित कर दी गई थी। मामले के खुलासे के बाद पीड़ित आदिवासियों ने तत्कालीन अधिकारियों के खिलाफ शिकायत भी दर्ज कराई थी। लेकिन सालों तक जांच रिपोर्ट फाइलों में ही दबी रही। अब जाकर साय सरकार ने भ्रष्टाचार में दोषी पाए गए 2015 बैच के आईएफएस को निलंबित कर दिया है। जानकारी के मुताबिक पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में आदिवासी बाहुल्य बस्तर संभाग में कई सरकारी योजनाएं सिर्फ कागजों में ही संचालित की जा रही थी। इलाके के पीड़ितों की शिकायतों को भी नजरअंदाज कर दिया गया था। कभी दागियों के खिलाफ उच्च स्तरीय जांच का हवाला देकर तो कभी जांच रिपोर्ट के इंतज़ार में वैधानिक कार्यवाही से जुड़ी फाइले मंत्रालय स्तर में भी धूल खाते रही। पीड़ितों के मुताबिक पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में उच्च पदस्थ नौकरशाही ने भ्रष्टाचार में लिप्त अफसरों के खिलाफ ना तो पुलिस में शिकायत दर्ज कराना मुनासिब समझा था और ना ही उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही करने में भी कोई रूचि दिखाई थी। नतीजतन, सरकार के आधे से ज्यादा विभागों में भ्रष्टाचार चरम पर रही। राज्य में बीजेपी सरकार के सत्ता में आने के बाद आरोपी DFO के खिलाफ वैधानिक कार्यवाही की गई। श्री निर्वाणी ने कहा कि निलंबन के साथ अधिकारी से हड़पी गई राशि की वापसी के लिए भी पहल करना अति आवश्यक है।
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