✍️ लाला कर्णकान्त श्रीवास्तव
एक्स रिपोर्टर न्यूज़ । राजनांदगांव
मेडिकल कॉलेज अस्पताल प्रबंधन ने दैनिक वेतन भोगी कर्मियों की भर्ती की आड़ में ज्यादा ही बड़े घोटाले को अंजाम दे दिया है। आम तौर पर नियम अनुसार भर्ती प्रक्रिया अपनाते हुए विज्ञापन, परीक्षा, प्रतिस्पर्धा और इंटरव्यू कर डिपार्टमेंट में भृत्य, प्लंबर और वाहन चालक जैसे अर्ध कुशल पदों पर भर्ती ली जाती है, लेकिन यहां अस्पताल अधीक्षक डॉ. प्रदीप बेक ने रेडियोग्राफर, लैब टेक्नीशियन, फार्मासिस्ट, स्टाफ नर्स, ऑक्सीजन अटेंडर, डाइटिशियन और ऑक्सीजन ऑपरेटर जैसे तकनीकी और कुशल पदों पर दैनिक वेतन भोगी कर्मियों की आड़ में थोक में बैक डोर एंट्री ले रखी है। भाई भतीजावाद की तर्ज पर बल्क में रखे गए इन कर्मियों के वेतन के चक्कर में ऑटोनॉमस फंड का चूना तो लगाया ही जा रहा है, साथ ही बिना किसी लिखित परीक्षा और इंटरव्यू के रखे गए इन कर्मियों भरोसे मरीजों को छोड़कर उनकी जान से खुलेआम खिलवाड़ किया जा रहा है।
अस्पताल के पेंड्री में स्थानांतरित होने के बाद अधिकारियों की मनमानी चरम पर
मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अस्तित्व में आने के कुछ समय बाद ही अधिकारियों ने दैनिक वेतन भोगी कर्मियों की आड़ में फंड का बंदरबांट शुरू कर दिया था। बसंतपुर जिला अस्पताल भवन में संचालन के दौरान गिनती के दैनिक वेतन भोगी रखे जा रहे थे। लेकिन पेंड्री में स्थानांतरित होते ही अस्पताल प्रबंधन के अधिकारियों के हौसले बुलंद हो गए। शासन प्रशासन के ध्यान नहीं देने का फायदा उठाकर अधिकारी मनमानी पर उतर आए और नियमों के विरुद्ध जाकर थोक में कर्मियों को बैक डोर एंट्री दे दी। इन कर्मियों को वेतन देने के नाम पर ऑटोनॉमस फंड से हर महीने लाखों और सालाना करोड़ों रुपए आहरित किया जा रहा है।
एक्स-रे संभालने के लिए आठ रेडियोग्राफर, 25 कंप्यूटर ऑपरेटर
सूचना का अधिकार के तहत 70 नहीं बल्कि 164 दैनिक वेतन भोगी कर्मियों की जानकारी का खुलासा हुआ है। अस्पताल में सीटी स्कैन और एमआरआई की सुविधा नहीं है सिर्फ एक्स-रे मशीन ऑपरेट करने के लिए आठ रेडियोग्राफर रख लिए गए हैं। इसी तरह 12 धोबी, एक डाइटिशियन, 8 लैब टेक्नीशियन, दो लैब अटेंडेंट, एक कुक, दो भृत्य, एक वार्ड बॉय, दो वार्ड आया, एक टेलर, पांच फार्मासिस्ट, 6 मेल स्टाफ नर्स, 52 स्टाफ नर्स, चार वाहन चालक, एक फिजियोथैरेपी सहायक, चार इलेक्ट्रीशियन, एक पेंटर, एक ऑडियोमेटरी टेक्नीशियन, एक ड्रेसर, एक ऑक्सीजन अटेंडर, एक एंबुलेंस अटेंडर, दो प्लंबर, 2 एएनएम, 25 कंप्यूटर ऑपरेटर, 6 ऑक्सीजन ऑपरेटर और 13 टेक्नीशियन वर्कशॉप रखे गए हैं। इनमें से अधिकांश कर्मियों की अस्पताल में जरूरत भी नहीं है फिर भी इन्हें बैठाकर मुफ्त में तनख्वाह दी जा रही है।
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