✍️ लाला कर्णकान्त श्रीवास्तव
एक्स रिपोर्टर न्यूज़ । राजनांदगांव
पेंड्री में संचालित शासकीय मेडिकल कॉलेज अस्पताल में दैनिक वेतन भोगी कर्मियों की भर्ती में बड़ा घोटाला सामने आया है। तत्कालीन प्रभारी अधीक्षक डॉ. प्रदीप बेक ने मनमानी पूर्वक बिना किसी आदेश के नियम विरुद्ध तरीके से थोक में दैनिक वेतन भोगी कर्मियों की भर्ती कर रखी है। बिना किसी आधार के रखे गए इन कर्मियों को वेतन देने के लिए हर महीने ऑटोनॉमस फंड को खाली किया जा रहा है। हर महीने लाखों रुपए फूंके जा रहे है। सूचना का अधिकार में खुलासा होने के बाद मामले की लिखित शिकायत सीबीआई, आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो और चिकित्सा सचिव को की गई है।
सूचना का अधिकार के तहत जुटाए गए दस्तावेजों से साफ पता चल रहा है कि मेडिकल कॉलेज अस्पताल में दैनिक वेतन भोगी कर्मियों के लिए कोई लीगल फरमान नहीं है। आवश्यकता पड़ने पर भर्ती नियमों के तहत विज्ञापन, आवेदन और फिर चयन प्रक्रिया के अनुसार भर्ती की जाती है। लेकिन यहां अधिकारियों ने भाई भतीजावाद की तर्ज पर बैक डोर एंट्री देकर एक नहीं दो नहीं 10 नहीं बल्कि 70 से अधिक गैर तकनीकी और तकनीकी पदों पर भर्ती कर रखी है। यह तो वह डाटा है जो अस्पताल प्रबंधन ने खुद दी है, वैसे तो आंकड़ा सैकड़ो में है।
पहले कहा जानकारी निरंक है, फिर खुद ही दी दैवेभो कर्मियों की सूची
इस मामले की पड़ताल में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। सूचना के अधिकार के तहत पहले तो अस्पताल में दैनिक वेतन भोगी कर्मियों की पद और स्थिति निरंक होने की जानकारी दी गई और फिर बाद में खुद प्रबंधन ने अपनी ओर से रखे गए 70 दैनिक वेतन भोगी कर्मियों की सूची भी दे डाली। ऐसे में अधिकारी खुद ही इस षड्यंत्र फंस चुके है।
अस्पताल के विकास और मरीजो सुविधाओं के लिए होता है स्वशासी फंड
अस्पताल पर्ची और अन्य सेवाओं के तहत मरीजों से लिया जाने वाला न्यूनतम शुल्क की राशि को ही स्वशासी (ऑटोनॉमस) फंड में जमा किया जाता है। समय आने पर इस फंड का उपयोग अस्पताल के विकास और मरीजों के जरूरी सुविधाओं के लिए किया जाता है। राशि का उपयोग करने से पूर्व समिति की सहमति ली जाती है। फिर शासन के गाइडलाइन अनुसार बिल्कुल पारदर्शी तरीके से सभी मापदंड का पालन करते हुए प्रक्रिया पूरी की जाती है। लेकिन यहां ऐसा कुछ भी नहीं किया गया। अटकलें तो यह भी है कि योजनाबद्ध तरीके से सांठगांठ कर ऑटोनॉमस फंड में सेंधमारी की जा रही है। मामले की जांच हुई तो जिम्मेदार अधिकारी दायरे में आ सकते हैं। आपको बता दे कि मेडिकल कॉलेज अस्पताल लंबे समय से सीटी स्कैन और एमआरआई जैसे एडवांस मेडिकल सुविधा से वंचित है। फिजूल खर्ची के बजाय अस्पताल प्रबंधन को ऑटोनॉमस फंड का इस्तेमाल इन जरूरी सुविधाओं की पूर्ति के लिए किया जाना चाहिए।
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