लाला कर्णकान्त श्रीवास्तव
एक्स रिपोर्टर न्यूज़ । राजनांदगांव
लाख छुपाए पर गड़बड़ी छिपती नहीं है। यह कहावत सीएमएचओ कार्यालय की कार्यप्रणाली पर सटीक बैठ रही है। सूचना का अधिकार के तहत प्राप्त दस्तावेजों के अवलोकन से सिलसिलेवार चौंकाने वाले तथ्यों का खुलासा हो रहा है। आगे की कड़ी में हमें पता चला कि किस तरह एक ही फर्म को लाभ पहुंचाने के लिए अफसर और फार्मासिस्ट द्वारा कूट रचना की गई। दिसंबर 2022 के आखिरी दिनों में कामाक्षी मेडिकोज रायपुर को बार-बार लगातार दवा सप्लाई का आर्डर दिया जाता रहा। वह भी किसी ऑब्जेक्शन के। मामले की पड़ताल में पता चला है कि ऑब्जेक्शन के भय से टेंडर में भाग लेने वाले और पंक्ति में आगे रखे गए फर्मो को क्रय आदेश के संबंध में कभी सूचना दी ही नहीं गई। यदि दी गई होती तो उसी समय ऑब्जेक्शन लगता और कूट रचना का भांडा फूट जाता। दवा खरीदी मामले में अनियमितता को इस तरह एक केस से समझते हैं।
1. वर्ष 2022-23 में सीएमएचओ कार्यालय द्वारा टैबलेट Atenolol 50 एमजी, टैबलेट Atenolol 25 एमजी और टैबलेट Ciprofloxacin Hydrochloride 500 mg की खरीदी के लिए प्रक्रिया शुरू की गई। 50 mg की टेबलेट के लिए L1 दर 32.90 रुपये मेसर्स हितेंद्र एंटरप्राइजेज रायपुर द्वारा दिया गया था। इसी तरह 25 एमजी टैबलेट के लिए मेसर्स महेंद्र इंटरप्राइजेज रायपुर ने L1 दर 23.56 रुपए दिए थे और सुरेश मेडिकल स्टोर ग्वालियर मध्य प्रदेश द्वारा 500 एमजी टैबलेट के लिए लोएस्ट प्राइस 211 रुपए कोट किया गया था। इन सभी को ऑर्डर देने के बजाय सीएमएचओ कार्यालय द्वारा कामाक्षी मेडिकोज रायपुर को सप्लाई आदेश दे दिया गया। जबकि इन तीनों टैबलेट्स में कामाक्षी मेडिकोज का दर अधिक था। बड़ी चालाकी से एल-1 की दर पर कामाक्षी मेडिकोज को 88794 रुपए क्रय आदेश दे दिया गया। सूचना का अधिकार के तहत प्राप्त दस्तावेजों में ऐसे कई केस परत दर परत खुल रहे हैं। अगली कड़ी में नए केस के साथ हम फिर हाजिर होंगे।
