IMG-20241026-WA0010
IMG-20241026-WA0010
previous arrow
next arrow
  • नारी अपने भाव और सेवा से हमेशा सुंदर होती है : पद्मश्री उषा बारले
  • स्त्री की सोच में आधुनिकता का समावेश वर्तमान समय की आवश्यकता : डॉ. दीप्ति
  • स्त्रियों का जितना दमन होगा बगावत का इतिहास उतना ही लंबा होगा : जया वादवानी
  • नारी विमर्श वर्तमान समय में एक जागृत विषय है : प्राचार्य डॉ. टांडेकर
  • नारी के बिना देश का सर्वांगीण विकास संभव नहीं है डॉ. टांडेकर

राजनांदगांव। शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय, हिंदी विभाग के तत्वाधान में 5 मार्च 2024 को वैश्विक परिपेक्ष में नारी विमर्श विषय पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार का शुभारंभ अतिथियों ने मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलित कर किया। डॉ. नीलू श्रीवास्तव एवं छात्राओं द्वारा सरस्वती वंदना, राज गीत एवं स्वागत गीत के साथ शुभारंभ किया।

सेमिनार के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि अंतर्राष्ट्रीय पंडवानी गायिका, पद्मश्री उषा बारले, विशिष्ट अतिथि, प्राचार्य- शासकीय महाविद्यालय, डोंगरगांव – डॉ. बी. एन. मेश्राम, अध्यक्षता – सेमिनार संरक्षक एवं प्राचार्य डॉ. के. एल. टांडेकर, आधार वक्तव्य, राष्ट्रीय कथाकार, रायपुर – जया जादवानी, विषय विशेषज्ञ त्रिभुवन विश्वविद्यालय, काठमांडू, नेपाल – प्राध्यापक डॉ. श्वेता दीप्ति, क्वागतोंग विदेशी भाषा विश्वविद्यालय, चीन- एसोसिएट प्राध्यापक डॉ. विवेकमणि त्रिपाठी, राष्ट्रीय साहित्यकार भिलाई- कैलाश बनवासी, प्रो. समन्वयक पत्रकारिता एवं संचार विभाग हरिसिंह गौर केन्द्रीय विश्वविद्यालय सागर (म. प्र.) – डॉ. अलीम अहमद खान, साहित्यसेवी, आस्ट्रेलिया डॉ. मृणाल शर्मा, संयोजक एवं विभागाध्यक्ष, हिंदी- डॉ. बी. एन. जागृत के उपस्थिति में सम्पन्न हुआ।

स्वागत उद्बोधन में विभागाध्यक्ष डॉ. बी. एन. जागृत ने कहा कि महिला विमर्श मानसिक प्रदूषण से जुड़ा है आधी आबादी की स्थिति सोचनीय क्यों है इसका निवारण कैसे हो यह इस शोध संगोष्ठी का विषय है।

प्राचार्य डॉ. टांडेकर ने आशीर्वचन में महाविद्यालय के गौरवशाली इतिहास का उल्लेख किया उन्होंने कहा कि नारी विमर्श वर्तमान में एक जागृत विषय है प्राचीन काल से ही नारी का ओजस्वी रूप देखने को मिलता है इतने सामान्य व पूज्यनीय होने पर भी देश में नारी विमर्श जैसे विषय पर चर्चा की जरूरत क्यों है इसका कारण हमें जानना होगा नारी के बिना देश का सर्वांगीण विकास संभव नहीं है।

 

मुख्य अतिथि अन्तर्राष्ट्रीय पंडवानी गायिका पद्मश्री उषा वाले ने कहा कि नारी महान है नारी कभी अपने दायित्वों से रिटायर नहीं होती है उसे गृहस्थी से कभी फुर्सत नहीं मिलती नारी के कई रूप है नारी अनेक गुना से सुसज्जित है नई अपनी सभी जिम्मेदारियां का बखूबी निर्वहन करती है उन्होंने महाभारत के प्रसंग द्वारा द्रौपदी के भावनाओं को लोकगीत के माध्यम से प्रस्तुत किया। वहीं देवी द्रोपदी अपने पतियों के जान की रक्षा के लिए एक रानी होते हुए भी दासी बनकर बनवास कल में जीवन यापन किया।

राष्ट्रीय साहित्यकार जाय जादवानी ने कहा कि नारी विमर्श विषय पुराना है। यह विषय अपने साथ हमेशा कुछ न कुछ नया जोड़ता है नई पीढ़ीयों से अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़तीं रही है स्त्री विमर्श का स्वरूप कैसा हो यह एक विस्तार का विषय है।

विशिष्ट अतिथि प्राचार्य डॉ. बी. एन. मेश्राम ने कहा कि नारी समस्या का समाधान अभी तक नहीं मिला है नारी सृष्टि का आधार है सहनशीलता दया क्षमा नारी का आभूषण है नारी हिंसा को रोकने की प्रत्येक व्यक्ति की जिम्मेदारी है।

नेपाल से पधारे विषय विशेषज्ञ डॉ. श्वेता दीप्ति ने कहा कि वह छत्तीसगढ़ की भूमि पर आकर यहां की संस्कृति और लोगों से मिलकर अभिभूत हैं उन्होंने प्रकाश डाला की स्त्री कई सदियों से अपने सवालों के जवाब ढूंढ रही है स्त्रियों की सोच में आधुनिकता होनी चाहिए क्योंकि सोच वह अधूरी है जो परिवार के आधार को मजबूत करती है हमें आधुनिकता को पहनावे से नहीं नापना चाहिए पुरुष का अस्तित्व स्त्री के बिना संभव नहीं है।

राष्ट्रीय साहित्यकार कैलाश बनवासी ने कहा कि मैं व्यक्तिगत रूप से स्त्रियों की दयनीय दशा का दर्शक रहा हूं समाज में स्त्री प्रताड़ना के अनगिनत उदाहरण हैं अब समाज बदल रहा है स्त्रियां अब मुखर हो रही है वह अपने अधिकारों के लिए सचेत हो चुकी हैं।

ऑस्ट्रेलिया से पधारे साहित्यसेवी मृणाल शर्मा ने कहा कि नारी विमर्श एक सामान्य विषय नहीं है नारी विमर्श की यात्रा को समझना होगा नारी को देवत्व से हटाकर उसे नारीत्व की पहचान देने की आवश्यकता है।

डॉ. अली अहमद खान ने कहा कि नारी विमर्श अत्यंत संवेदनशील वह ज्वलंत विषय है नारी की उपेक्षा कर कोई भी परिवार समाज अथवा राष्ट्र उन्नति नहीं कर सकता। ऑनलाइन माध्यम से चीन से जुड़े विषय विशेषज्ञ डॉ. विवेकमणि त्रिपाठी ने कहा कि प्राचीन चीन में भी महिलाओं की स्थिति बहुत खराब थी भारत की तरह यहां पर भी कई को प्रथाएं प्रचलित थी स्त्री को एक वस्तु के रूप में रखा जाता था परंतु वर्तमान समय में चीन की महिलाओं की स्थिति में बहुत सुधार हुआ है मातृशक्ति को शिक्षित करना ही हर समस्या का आधार है। हमें अपनी मातृ शक्ति को समान अवसर देना होगा तभी हम एक मजबूत राष्ट्र की कल्पना कर सकते हैं।

संगोष्ठी के प्रथम दिवस पर तकनीकी सत्र में विषय विशेषज्ञ के रूप में जया जदवानी, कैलाश बनवासी, डॉ. विवेकमणि त्रिपाठी, डॉ श्वेता दीप्ति एवं सत्र की अध्यक्षता डा. अलीम अहमद खान, डॉ. नागरथे एवं डॉ. के एल टांडेकर ने किया।

विभिन्न तकनीकी सत्रों में अलग-अलग राज्यों एवं महाविद्यालय के शोधार्थियों ने शोध पत्र प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में अतिथियों के द्वारा शोध स्मारिका का विमोचन किया गया साथ ही साथ अर्थशास्त्र के विभागाध्यक्ष डॉ. डी.पी. कुर्रे द्वारा लिखित पुस्तक “पर्यटन उद्योग” एवं “दलित सशक्तिकरण सामाजिक और आर्थिक आयाम ” पुस्तकों का भी विमोचन किया गया। कार्यक्रम में उपस्थित समस्त अतिथियों का स्वागत छत्तीसगढ़ी शॉल, श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर किया गया। सेमिनार का संचालन डॉ. प्रवीण साहू, डॉ. नीलम तिवारी एवं दीक्षा देशपांडे द्वारा किया गया। आभार ज्ञापन डॉ. अनवर खान एवं शालिनी साहू द्वारा किया गया। अतिथियों के लिए महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए। सेमिनार में महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापक, अतिथि व्याख्याता एवं बाहर से आए हुए शोधार्थीयों एवं प्राध्यापक गण और महाविद्यालय के छात्र – छात्राएं बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

By Amitesh Sonkar

Sub editor

error: Content is protected !!