लाला कर्णकान्त श्रीवास्तव
एक्स रिपोर्टर न्यूज़ । राजनांदगांव
स्वास्थ विभाग अंतर्गत लाखों रुपए कीमत की दवा और सामाग्री खरीदी में बड़ा गोलमाल का खुलासा हुआ है। कमीशन के चक्कर में अधिकारी और कर्मचारियों ने मिलकर टेंडर में भाग लेने वाले एल-1 फर्म को छोड़ पंक्ति के आठवें और आखिरी फर्म को नियम विरुद्ध तरीके से सप्लाई आर्डर दे दिया। इस पूरे कारनामे में सीएमएचओ और भंडार क्रय लिपिक (फार्मासिस्ट) की मिलीभगत आशंका है। हाल में सूचना का अधिकार के तहत प्राप्त दस्तावेज में इन चौकाने वाले तथ्यों का खुलासा हुआ है।
स्वास्थ विभाग में लंबे समय से दवा और मेडिकल सामाग्री खरीदी में वित्तिय अनियमितता बरती जा रही है। कमीशन के फेर में अधिकारी और कर्मचारी मिलकर जनता के रुपयों का दुरुपयोग कर रहे है। नियम विपरित अपने चहेते फर्म को ठेका देकर मनमानी कर रहे है। जब इस मामले की जानकारी हमे हुई तो हमने सूचना का अधिकार के तहत दवा और मेडिकल सामाग्री खरीदी से संबंधित दस्तावेजो की मांग की। सूचना के अधिकार के तहत सीएमएचओ से वर्ष 2022-23 में क्रय की गई दवा एवं मेडिकल सामग्री की जानकारी मांगी गई थी जिसके एवज में सीएमएचओ के भंडार क्रय लिपिक द्वारका प्रसाद साहू द्वारा जानकारी दी गई। प्राप्त दस्तावेजों की जांच में पाया गया कि उक्त क्रय लिपिक द्वारा सीएमएचओ भंडार में की गई कई प्रकार की दवा एवं सामग्री की खरीदी में घोर अनियमितता बरती गई है। जानबूझकर एक ही फर्म मेसर्स कामाक्षी मेडिकोज रायपुर को नियम विरुद्ध तरीके से लाखों रुपए की दवाई और सामग्री का क्रय आदेश दे दिया गया। इस कार्य में सीएमएचओ राजनांदगांव और भंडार क्रय लिपिक द्वारका प्रसाद साहू की मिलीभगत आशंका गहरा गई है।
पहले भी कर चुके है कांड, कोतवाली में हुई थी शिकायत
ज्ञात हो कि पूर्व में जब मेडिकल कॉलेज अस्पताल, जिला अस्पताल बसंतपुर में सबद्ध था, तब भी तत्कालीन अस्पताल अधीक्षक एवं तात्कालिन क्रय फार्मासिस्ट द्वारा आपस में साठगांठ कर कई फर्मों के देयकों (बिल्स) को अटका दिया गया, जिसका भुगतान आज पर्यंतक नहीं किया जा सका है। इस मामले को लेकर स्थानीय फर्म अरिहंत मेडिकोज राजनांदगांव द्वारा इन दोनों के विरुद्ध कोतवाली थाने में शिकायत की गई है। जिसकी जांच चल रही है। विदित हो कि तात्कालिन कलेक्टर भीम सिंह द्वारा द्वारका प्रसाद साहू के क्रय लिपिक पद पर रहते दवा एवं सामग्री खरीदी में की गई अनियमितता के चलते निलंबित किया गया था। इस मामले को लेकर डायरेक्टरेट मेडिकल एजुकेशन (डीएमई) में अभी भी जांच चल रही है। इसके बावजूद ऐसे फार्मासिस्ट को सीएमएचओ राजनांदगांव द्वारा क्रय लिपिक के पद पर रखा जाना षड्यंत्रकारी सोच को उजागर करता है।
टेंडर में भाग लेने वाले एल-1 फर्म को नहीं दिया सप्लाई आर्डर
सूचना के अधिकार में जो जानकारी और दस्तावेज मांगे गए उसके विश्लेषण से इस बात का खुलासा हुआ है कि अधिक से अधिक कमिशन के लालच में भंडार क्रय नियम को ताक पर रखकर टेंडर में भाग लेने वाले एल-1 श्रेणी के दर पर मेसर्स कामाक्षी मेडिकोज रायपुर को दवाई एवं सामग्री सप्लाई का ठेका देकर लाखों रुपए का फायदा पहुंचाया गया और जनता के पैसों का गलत उपयोग किया गया। बतौर उदाहरण एचआईवी रैपिड टेस्ट किट का एल-1 टेंडर दर 19 रुपए 99 पैसे था जिसे मेसर्स मित्तल मेडिकोज सूरजपुर ने दे रखा था, जिसे क्रय आदेश न देकर कामाक्षी मेडिकोज रायपुर को क्रय आदेश क्रमांक 527 दिनांक 23/2/2023 और क्रय आदेश क्रमांक 539 दिनांक 24/2/2023 कुल राशि 1,75,992 रुपए ऑर्डर दे दिया गया। जबकि कामाक्षी मेडिकोज एल श्रेणी से बाहर सूची के आठवें नम्बर है। ऐसे कई दवा एवं सामग्री का क्रय आदेश एल-1 फर्म को न देकर टेंडर दर से उक्त फर्म को दे दिया गया।
ऐसा है भंडार क्रय नियम
टेंडर में भाग लेने पर यदि किसी फर्म का दवा एवं सामग्री पर एल-1 दर आता है तो क्रय आदेश संबंधित फर्म को दिया जाता है। यदि उक्त फर्म किसी कारणवश निर्धारित समय पर दवा एवं सामग्री की सप्लाई नहीं कर पाता तब उक्त आदेश को निरस्त करते हुए एल-2 दर वाले फर्म को सप्लाई आदेश दिया जाता है, इस दौरान दवा एवं सामग्री की अंतर की राशि एल-1 फर्म के जमा राशि से काटी जाती है। यह प्रक्रिया एल-3 तक चलती है। सभी में संबंधित फर्म से एनओसी अनिवार्य है। इसके बजाय किसी दूसरे फर्म को आदेश देना नियम विपरीत है।
मामले में हो निष्पक्ष जांच
दवा और मेडिकल सामग्री खरीदने में गड़बड़ी का यह गंभीर मामला है। सूचना का अधिकार के तहत मिले दस्तावेज के कुछ पन्ने पलटने पर ही इतने महत्वपूर्ण खुलासे हुए हैं। अभी तो पूरी फिल्म बाकी है। जिला प्रशासन के आला अफसरो को संज्ञान में लेते हुए मामले की निष्पक्ष जांच करवानी चाहिए। जाँच होने से कई महत्वपूर्ण तथ्यों का खुलासा होगा।
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