कर्णकांत श्रीवास्तव
एक्स रिपोर्टर न्यूज । राजनांदगांव
दो चरणो में सपन्न होने वाले छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव मतदान की उल्टी गिनती शुरु हो चुकी है। चुनाव जीतने के लिए राजनैतिक पार्टियों में अंधी होड़ मची है। इस होड़ में सबसे आगे है देश की दो प्रमुख राजनीति पार्टी भाजपा और कांग्रेस। दूरदर्शिता और नैतिकता को ताक पर रखकर दोनो पार्टियां सरकारी खजाना लुटाने मतदाताओं को तरह-तरह का लालच दे रहे हैं। चहुंमुखी प्रगति का रास्ता खोलने वाली सर्वजन हिताय सारगर्भित योजना से इनका दूर-दूर तक नाता नहीं है। यही वजह है कि भाजपा वर्सेस कांग्रेस करने पर नतीजा शून्य ही निकलकर कर आ रहा है।
बात की जाए अविभाजित राजनांदगांव जिले के 6 विधानसभा सीटों की तो यहां इन दोनों पार्टियों ने चुनाव जीतने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। दोनों ही पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में प्रमुख रूप से किसानों को साधने की कोशिश की है। एक ने कर्ज माफी तो दूसरे ने समर्थन मूल्य बढ़ाने का वादा कर रखा है। घोषणा पत्र में अन्य तरह की मुफ्त की रेवड़ी भी शामिल है। लोकतंत्र को बल तब मिलता है, जब सरकारें दूरगामी परिणामों वाले ऐसे कदम उठाती हैं जो देश-प्रदेश की चहुंमुखी प्रगति का रास्ता खोल दे। इन कदमों में निवेश बढ़ाकर अर्थव्यवस्था सुदृढ़ करना, आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की इस तरह मदद करना कि वे गरीबी के चक्रव्यूह से बाहर निकल जाएं, रोजगार के अवसर बढ़ाना, आधारभूत ढांचे को सुदृढ़ करना, शिक्षा व स्वास्थ्य तंत्र को बेहतर बनाना, पर्यावरण में सुधार करना जैसे मुद्दे शामिल हैं। लेकिन इस बार के चुनाव में ये मुद्दे भुलाए जा चुके हैं। ऐसे में मतदाताओं को जागरूक होना होगा। जब आपके पास विकल्प की भरमार है तो आप हर बार पार्टी विशेष को देखकर मुहर क्यों लगाते आए हैं। मतदाताओं को समझना होगा कि किसी पार्टी से ताल्लुक नहीं रखने वाला प्रत्याशी भी उनके क्षेत्र के विकास में शतप्रतिशत योगदान दे सकता है।
जमीनी मुद्दे दरकिनार, पुराना जख्म अभी भी हरा
इस बार के इलेक्शन में जमीनी मुद्दों को प्रमुख पार्टियों ने दरकिनार कर रखा है। वहीं पुराने जख्म अभी भी हरे है। कांग्रेस के शासन के दौरान राजनांदगांव जिले को तीन भागों में बांट दिया गया। इस विभाजन से लोगों में काफी निराशा देखने को मिली। छोटे-छोटे जिले यानी आय से अधिक खर्चा। जिसका बोझ अब जनता पर आ पड़ा है। आने वाले 10 वर्षों तक इन जिलो की जनता को विकास का मुंह ताकना होगा। किसी बड़े औद्योगिक प्लांट की स्थापना नहीं की गई, जिससे लोगों को रोजगार मिल सके। सबसे जरुरी स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल रहा। भाजपा के कार्यकाल के दौरान लगाया गया लैंको पावर प्लांट एक बड़ा घाव देकर चला गया। जिस पर मरहम लगाने वाला भी कोई नहीं है।
सड़कों की हालत खस्ता, कमीशन के चक्कर में पुराने भवनों पर फूंक रहे पैसा
अविभाजित जिले के सभी 6 विधानसभा मोहला मानपुर, खुज्जी, खैरागढ़, डोंगरगांव, डोंगरगढ़ और राजनांदगांव का दौरा करने पर पता चाला कि इन विधानसभा क्षेत्र के अपने लोकल मुद्दे ही काफी बड़े और विकराल है। सत्ता पार्टी के विधायक रहते हुए भी इन क्षेत्रों का विकास रुका हुआ है। विशेष कर सड़कों की हालत काफी खस्ता हो चुकी है। 5 साल के कार्यकाल में इन सड़कों को बनाने के लिए किसी का ध्यान नहीं गया। वहीं दूसरी ओर कमीशन के चक्कर में पुराने भवनों की मरम्मत में बेतहाशा रुपए फूंके जा रहे है। ऐसे में इन दोनों पार्टियों को गले लगाना ठीक होगा कि नहीं, आखिरी फैसला जनता पर टिका हुआ है।
और अंत में…
गंभीर नहीं गंभीरता चाहिए, जन समुदाय से जुड़े मामलो के निराकरण में तत्परता चाहिए।
ललाट ही नहीं, वाणी और कार्यों में गंभीरता चाहिए, एक व्यक्ति नहीं, संगठन नहीं, समाज नहीं, बल्कि सर्वजन हिताय सारगर्भित योजना चाहिए।
अपना नहीं, आपका नहीं, बल्कि सबका विकास हो ऐसी रणनीति चाहिए, भला एक का नहीं अपितु पूरे देश का हो ऐसी राजनीति चाहिए।
***********
कर्णकांत श्रीवास्तव
(B.J.M.C.)
सीनियर जर्नलिस्ट, फाउंडर एंड चीफ एडिटर- सेंट्रल रिपोर्टर समाचार पत्र एवं एक्स रिपोर्टर न्यूज वेबसाइट, ब्यूरो चीफ- दैनिक सत्यदूत संदेश, सिटी चीफ- दैनिक अग्रदूत समाचार पत्र, मीडिया प्रभारी- जिला पत्रकार महासंघ, राजनांदगांव एवं विशेष सदस्य- प्रेस क्लब राजनांदगांव।
मो. 9752886730
