फाइल फोटो
राजनांदगांव। अविभाजित राजनांदगांव जिले में आदिवासी छात्रों की डिजीटल शिक्षा की आड़ में लाखों के स्कैम का मामला सामने आया है। आदिम जाति तथा अनुसूचित विकास विभाग ने स्मार्ट क्लासेस तैयार करने के लिए डीएमएफ मद से तकरीबन 44 लाख खर्च किए, जिसमें लाखों का गोलमाल किया गया है। जो सेटअप छात्रावास-आश्रमों तक पहुंचना था, वो पहुंचा ही नहीं।
डीएमफ मद से आदिवासी छात्रावास, आश्रम में स्मार्ट क्लासेस के लिए खरीदी की आड़ में आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग ने लाखों का खेल कर दिया है। यह खरीदी वर्ष 2021 में की गई थी। इस मामले पर विभागीय अधिकारी कुछ भी कहने से कतरा रहे हैं। जो गड़बडि़यां सामने आई है उसके मुताबिक प्रत्येक सेटअप में 50 हजार रुपए का चुना लगाया गया है। अविभाजित राजनांदगांव जिले के 20 आश्रम-छात्रावासों में स्मार्ट क्लासेस रुम की स्थापना के लिए स्वीकृत सेटअप से कम सामग्री यहां पहुंचाई गई। अधिकारियों और सप्लायर ने आपसी सांठगांठ कर इसमें शासन को लाखों का चुना लगाया है। इसका खुलासा अब जाकर हो रहा है।
कुल 2 लाख 20 हजार के एक सेटअप में कई सामग्री आश्रमों-छात्रावासों तक अब तक नहीं पहुंची। चूंकि यहां पदस्थ अधीक्षकों को पूरे सेटअप की जानकारी नहीं दी गई थी उन्हें अधूरी जानकारी देकर प्रमाण पत्र में दस्तखत करवा लिए गए। अब जब इससे जुड़े सवाल विभाग से किए जा रहे हैं तो अधिकारी इसे लगातार टालने की कोशिश कर रहे हैं।
20 सेंटर के लिए मिली थी स्वीकृति
अविभाजित राजनांदगांव जिले में आदिम जाति तथा अनुसूचित विकास विभाग के 20 छात्रावास-आश्रमों में ई-शिक्षा व्यवस्था के तहत वर्ष 2021-22 में डिजीटल क्लास रुम की स्थापना हेतु विभाग ने जिला खनिज संस्थान न्यास को कोटेशन भेजा था। इसमें पूरे सेटअप के लिए 2 लाख 20 हजार की दर से 44 लाख रुपए की खरीदारी बताई गई।
बगैर जांचे कर दिया पूरा भुगतान
इस सेटअप में शामिल कई समान सेंटरों तक पहुंचे ही नहीं और इसका पूरा भुगतान विभाग ने कर दिया। कई छात्रावास, आश्रम के अधीक्षकों ने इसकी पुष्टि भी की है। प्रत्येक सेटअप में लगभग 50 हजार रुपए की गड़बड़ी की गई है। इस लिहाज से डीएमएफ मद से डिजीटल क्लास की खरीदारी की आड़ में तकरीबन 10 लाख रुपए की गड़बड़ी की गई है।
पढ़ाई भी नहीं हो रही
ई-शिक्षा व्यवस्था की दुहाई देकर डिजीटल स्मार्ट क्लास तैयार करने पर लाखों का खर्च महज दिखावा साबित हुआ है। अधिकतर केंद्रों में प्रोजेक्टर और मशीनें धूल खा रहीं हैं। कई जगहों पर यह बच्चों के ही भरोसे है और वे खुद ही इसे संचालित करते हैं। अधीक्षकों की भूमिका इसमें शून्य ही है। उस पर अधूरे सेटअप के कारण के भी कई दिक्कतें सामने आ रहीं हैं।
रखरखाव में लापरवाही
कई छात्रावास और आश्रमों में स्मार्ट क्लासेस के डिजीटल सेटअप खराब हो चुके हैं टूट गए हैं। इसके रखरखाव में भारी लापरवाही बरती गई है। इसका इस्तेमाल नहीं के बराबर ही किया गया है। कई केंद्रों में तो जो अधूरा सेटअप पहुंचा था उसमें से भी कई वस्तुएं गायब होने की शिकायत हैं। यह पूरी योजना महज गोलमाल किए जाने के लिए ही अमल में लाई गई।
