राजनांदगांव। मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी नवीन जिला बनने के पश्चात् भी ट्रायबल विभाग के शिक्षक व स्टॉफ अभी तक शिक्षा विभाग में नियम विपरीत जमें हुए है जिसको लेकर छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल ने सोमवार को सामान्य प्रशासन और स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर यह मांग किया गया है कि आदिम जाति कल्याण विभाग के शिक्षको एंव स्टॉफ को वापस उनके आदिवासी विकासखंडों में भेजा जाना चाहिए क्योंकि सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा दिनांक 10 मार्च 2015 को जारी संविलियन आदेश की कंडिका 11 में यह स्पष्ट लिखा हुआ है कि आदिम जाति कल्याण विभाग के शिक्षकों और अन्य स्टॉफ का शिक्षा विभाग में संविलियन होने के बाद भी आदिवासी विकासखंडों से बाहर नहीं आ पाएंगे। इसका मतलब यह कि संविलियन के बाद भी आदिवासी विभाग के शैक्षणिक स्टॉफ शिक्षा विभाग के स्कूलों एंव कार्यालय में अपनी सेवाएं नहीं दे पाएंगे, उनका कार्यक्षेत्र पूर्ववत् ही रहेगा और उनका स्थानांतरण भी आदिवासी विकासखंड में ही होगा।
श्री पॉल ने बताया कि जिले में संचालित स्वामी आत्मानंद स्कूलों, शिक्षा विभाग के स्कूलों और जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में आदिम जाति कल्याण विभाग के अनेक व्याख्याताओं, शिक्षकों और अन्य स्टॉफ की पोस्टिंग किया गया है और संलग्न कर रखा गया है, जिन्हे तत्काल वापस आदिवासी विकासखंडों में भेजा जाना अनिवार्य है।
क्या है नियम
सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा दिनांक 10 मार्च 2015 को जारी संविलियन आदेश में स्कूलों का हस्तांतरण करते समय ही यह आदेश जारी किया गया था कि स्कूल शिक्षा विभाग के अंतर्गत शैक्षणिक संस्थाओं में वर्तमान कार्यरत शिक्षकीय, लिपिकीय व भृत्य आदि संवर्ग का समस्त अमला शैक्षिक संवर्ग अ कहलाएगा। आदिम जाति व अनुसूचित जाति विकास विभाग से हस्तांतरित होने वाली शैक्षणिक संस्थाओं में कार्यरत अमला शैक्षणिक संवर्ग ब कहलाएगा। शैक्षिक संवर्ग अ व ब की पदस्थापनाएं और हितलाभ अलग-अलग होंगे। शिक्षा विभाग में आए आजाक कर्मचारियों को उनके विभाग के नियम के अनुसार ही पदोन्नतिए स्थानांतरण का लाभ दिया जाएगा और आदिम जाति कल्याण विभाग के शिक्षकों और अन्य स्टॉफ का शिक्षा विभाग में संविलियन होने के बाद भी आदिवासी विकासखंडों से बाहर नहीं आ पाएंगे। इसका मतलब यह कि संविलियन के बाद भी आदिवासी विभाग के शैक्षणिक स्टॉफ शिक्षा विभाग के स्कूलों एंव कार्यालय में अपनी सेवाएं नहीं दे पाएंगे, उनका कार्यक्षेत्र पूर्ववत् ही रहेगा और उनका स्थानांतरण भी आदिवासी विकासखंड में ही होगा।
