राजनांदगांव। शासकीय दिग्विजय स्वशासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय, राजनांदगांव में प्रभारी प्राचार्य डॉ. अंजना ठाकुर के मार्गदर्शन एवं पत्रकारिता विभागाध्यक्ष डॉ.बी.एन.जागृत के नेतृत्व में पत्रकारिता विभाग द्वारा राष्ट्रीय पत्रकारिता दिवस और विश्व टेलिविजन दिवस उपलक्ष्य में मुख्य अतिथि हरिभूमि, ब्यूरो चीफ राजनांदगांव (प्रेस क्लब अध्यक्ष राजनांदगांव) श्री सचिन अग्रहरि जी, की उपस्थित में कार्यक्रम आयोजित की गई।
मुख्य अतिथि सचिन अग्रहरि ने प्रिंट मीडिया को एक लिखित दस्तावेज बताया टेलिविजन के अपेक्षा प्रिंट मीडिया ज्यादा विश्वनीय है। हम पत्रकार शब्दों को पूजते हैं हमारे शब्द आने वाले समय का इतिहास बनेगें आज का पत्रकार ही कल का इतिहास है। अग्रहरि ने कहा कि पत्रकारिता में चुनौतीयां एवं दबाव दोनों होते हैं पर पत्रकार को निष्पक्ष हो कर बेबाक खबरों को पाठक तक पहुंचाना चाहिए। आज पत्रकारिता का व्यावसायी करण का कारण पाठक को बताया क्योकि यह सस्ते दरों में हम समाचार की उम्मीद करते है। विद्यार्थियों से सावाल जवाब करते हुए उनके जिज्ञासाओं का समाधान किया। साथ ही आग्रह किया कि प्रतिदिन समाचार पत्र पढियें, लिखिए और हिन्दी टाईपिंग अनिवार्य रुप से सिख लिजिए। साथ ही अपने पत्रकारिता के अनुभव को छात्र – छात्राओं के समक्ष सझा करते हुए कहा कि मैं अपने पत्रकारिता की शुरुवात स्कूल कि शिक्षा के साथ ही पू्रफ रीडर के तौर पर की। मीडिया में एक छोटे से काम से चालू किया था और आज हरिभूमि, ब्यूरो चीफ के साथ ही राजनांदगांव प्रेस क्लब अध्यक्ष हूॅ। कोई भी काम छोटा या बड़ा नही होता है। पत्रकारिता के विद्यार्थिर्यो को मोटिवेट करते हूए जानकारी दी कि प्रतिदिन समाचार पत्र पढ़िये, खबर लिखने का प्रयास करे और साथ ही हिन्दी टाईपिंग अनिवार्य रुप से सिखने को कहा।
महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य डॉ. अंजना ठाकुर ने कहा कि पत्रकारिता देश के चौथा स्तम्भ है। टेलीविजन की भूमिका हर मायने मे काफी महत्वपूर्ण रही है। न्यायपलिका, विधायिका और कार्यपालिका जैसे देश के महत्वपूर्ण स्तंभों पर नजर रखने का कार्य करने वाली खबरपालिका आज अपने मूलकार्य से विमुख हो चुकी है। अपने प्रारम्भ में मिशन के तहत लोगों के बीच अपनी भूमिका का निर्वाह करने वाली पत्रकारिता समय के साथ बदलते हुए प्रोफेशन के रूप मे भी परिवर्तित हुई है।
पत्रकारिता विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. बी. नंदा जागृत ने विश्व टेलीविजन के बारे में बताया कि नवंबर 1996 में, संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने पहले वर्ल्ड टेलीविजन फोरम का आयोजन किया था, प्रमुख मीडिया हस्तियां फोरम का हिस्सा थी जहां उन्होंने इंटरनेशनल लेवल पर टेलीविजन के बढ़ते महत्व पर चर्चा कि तब से महासभा ने हर वर्ष 21 नवंबर का विश्व टेलीविजन दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया। वहीं डॉ. जागृत ने कहा कि इलेक्ट्रानिक माध्यम हो या मुद्रित माध्यमों का व्यवसायिकरण इस बात में अब कोई दो राय नहीं है कि टेलीविजन चैनल या समाचार पत्र का माध्यम व्यवसायिकरण हो चुका है। आने वाले समय में व्यवसायिकरण का यह चेहरा विकृत और विकराल देखने को मिले तो समाज को हैरान नहीं होना चाहिए।
स्ववित्तीय व्यख्याता अमितेश सोनकर ने राष्ट्रीय पत्रकारिता दिवस के इतिहास के बारे में जानकारी दिया कि राष्ट्रीय पत्रकारिता दिवस प्रत्येक वर्ष 17 नवंबर को मनाया जाता है 1920 के दशक के दौरन, लेखक पाल्टर लिपमैन और अमेरिकी दार्शनिक जॉन डेवी, नें एक लोकतांत्रिक समाज में पत्रकारिता की भूमिका पर अपने विचार विमर्श को प्रकाशित किया था जब आधुनिक पत्रकारिता अपने वास्तविक रूप मे आ रहा था। अब यह भली – भांति ज्ञात हो चुका है कि पत्रकारिता जनता और नीति निर्माताओं के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाता है। इस सन्दर्भ में महत्वपूर्ण भूमिका एक पत्रकार निभाता है। वहीं आगें सोनकर ने बताया कि पत्रकारिता की हरिभूमि से शुरूवात कर अब तक का अनुभव को शेयर किया।
कार्यक्रम संचालन पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के पंचम सेमेस्टर के छात्र मनोज द्वारा किया। आभार प्रदर्शन कुमारी विभा सिंह ने किया। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में विभाग के व्याख्याता सेऊक दास का योगदान रहा साथ ही विद्यार्थीयों ने अपनी सहभागिता दी।

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