IMG-20241026-WA0010
IMG-20241026-WA0010
previous arrow
next arrow

राधे नाम का सुमिरन ही श्री कृष्ण से मिलने होता है सहाय _अशोक शास्त्री

कवर्धा , श्रीमद् भागवत महापुराण सप्ताह ज्ञान यज्ञ में विधायक एवं कैबिनेट मंत्री मोहम्मद अकबर शामिल हुए । इसके साथ ही कैबिनेट मंत्री ने श्री नामदेव के परिवार जनों से मुलाकात की कथा व्यास पंडित श्री अशोक शास्त्री जी वृंदावन के द्वारा श्रीमद्भागवत महापुराण कहा जा रहा है आज कथा के छठवें दिन श्री शास्त्री जी ने नंद उत्सव ,पूतना वध ,बाल लीला ,कंस वध और रुक्मणी विवाह की कथा कही महाराज जी ने बताया कि आज भागती दौड़ती जिंदगी में लोगों के पास समय नहीं है लेकिन मानव जीवन को सफल करना है तो ईश्वर का स्मरण हमें जरूर करना होगा उन्होंने कहा कि आप कहीं भी कभी भी ईश्वर का नाम स्मरण करते रहे इस तरह भी आप भगवान से जुड़े रहेंगे इसके साथ ही उन्होंने आगे कहा कि मानव जीवन में भगवत कथा सुनने का बहुत ही बड़ा महत्व है उन्होंने आज बताया कि बिना प्रभु के नाम सुमिरन के बिना इस जीवन में मुक्ति मिल नहीं सकती प्रभु स्मरण से ही लोगों को सद्गति प्राप्त होती है और ईश्वर का भजन नाम सुमिरन करना ही जीवन के लिए सार है। भागवत कथा में कथावाचक अशोक शास्त्री जी ने श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह प्रसंग सुनाया। श्रद्धालुओं ने भगवान श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह को एकाग्रता से सुना तथा श्रीकृष्ण-रुक्मणि का वेश धारण किए बाल कलाकारों पर भारी संख्या में आए श्रद्धालुओं ने पुष्पवर्षा कर स्वागत किया।
वह विवाह के मंगल गीत गाए। भागवत कथा में सौरभ श्रद्धा नामदेव , नवीन नामदेव आशु नामदेव ,संतोष नामदेव पूर्व पार्षद ,राजेश नामदेव उर्वशी नामदेव ,नितेश नेहा नामदेव ने दीप प्रज्जवलित किया। प्रसंग में शास्त्री जी ने कहा कि रुक्मणी विदर्भ देश के राजा भीष्म की पुत्री और साक्षात लक्ष्मी जी का अवतार थी। रुक्मणी ने जब देवर्षि नारद के मुख से श्रीकृष्ण के रूप, सौंदर्य एवं गुणों की प्रशंसा सुनी तो उसने मन ही मन श्रीकृष्ण से विवाह करने का निश्चय किया। रुक्मणी का बड़ा भाई रुक्मी श्रीकृष्ण से शत्रुता रखता था और अपनी बहन का विवाह राजा दमघोष के पुत्र शिशुपाल से कराना चाहता था। रुक्मणी को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने एक ब्राह्मण संदेशवाहक द्वारा श्रीकृष्ण के पास अपना परिणय संदेश भिजवाया। तब श्रीकृष्ण विदर्भ देश की नगरी कुंडीनपुर पहुंचे और वहां बारात लेकर आए शिशुपाल व उसके मित्र राजाओं शाल्व, जरासंध, दंतवक्त्र, विदु रथ और पौंडरक को युद्ध में परास्त करके रुक्मणी का उनकी इच्छा से हरण कर लाए। वे द्वारिकापुरी आ ही रहे थे कि उनका मार्ग रुक्मी ने रोक लिया और कृष्ण को युद्ध के लिए ललकारा। तब युद्ध में श्रीकृष्ण व बलराम ने रुक्मी को पराजित करके दंडित किया। तत्पश्चात श्रीकृष्ण ने द्वारिका में अपने संबंधियों के समक्ष रुक्मणी से विवाह किया।

By Rupesh Mahobiya

Bureau Chief kawardha

error: Content is protected !!