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पहली ही बारिश में अव्यवस्था की खुली पोल

  • पहली ही बारिश में स्कूल मैदान बना टापू, जलभराव के कारण चारो तरफ कीचड़ ही कीचड़
  • विद्यार्थियों को कक्षा तक पहुँचने, करनी पड़ रही मशक्कत
  • डेंगू, मलेरिया सहित संक्रामक बीमारियों के फैलने का डर

राजनांदगाँव। नया शिक्षा सत्र 2022-23 प्रारम्भ हो चुका है। नवप्रवेशी विद्यार्थियों का शाला प्रवेशोत्सव भी धूमधाम से मनाया जा रहा है। लेकिन इस बीच शिक्षा विभाग की बेपरवाही और लापरवाही बारिश के पानी के साथ खुलकर सामने आने लगी है। पहली ही बारिश ने लखोली स्कूल की सरकारी व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी है। लखोली मिडिल स्कूल में स्कूल के गेट के सामने ही पहली बारिश से पानी का जमावड़ा हो गया है।

जिसकी निकासी के कोई इंतज़ाम संबंधित विभाग या स्कूल प्रशासन द्वारा अब तक नही किये जा सके हैं। आज दूसरी बारिश ने बची सारी कसर निकाल दी। बावजूद जिम्मेदार अमला नींद से अब तक नही जागा। अभी तो मानसून शुरू हुआ हैं। जब और अधिक बारिश होने लगेगी तो पूरा स्कूल मैदान पानी से लबालब और जलमग्न हो जाएगा। यहाँ स्कूल प्रवेश करने वाले मार्ग पर पानी के अत्यधिक जमावड़े से विद्यार्थियों का रास्ता पार करना तो मुश्किल होगा ही। स्कूली बच्चें कक्षा तक कैसे पहुँचेंगे यह बहुत बड़ी चुनौती होगी। इस अव्यवस्था से विद्यार्थियों की पढ़ाई भी प्रभावित हुए बिना नही रह सकेगी। डेंगू, मलेरिया और अन्य संक्रामक बीमारियाँ विद्यार्थियों और आसपास क्षेत्र के नागरिकों को भी घेरने लगेगी।

वार्ड में रहने वाले आशिष सोरी ने कहा कि, लखोली स्कूल मैदान हमारे लखोली क्षेत्र की अप्रतिम देन है। इस स्कूल में एक ओर जहाँ पढ़ाई की गतिविधियाँ संचालित होती है तो वहीं, मैदानी हिस्से में खेलकूद जैसी गतिविधियाँ और अनेकों प्रकार के घरेलू और सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं। जलभराव की वजह से पढ़ाई के साथ साथ उपरोक्त सारी गतिविधियों में भी विराम सा लग जायेगा। जिससे विद्यार्थियों सहित पूरे लखोली के नागरिकों भी खासी परेशानियाँ उठानी पड़ेगी। शिक्षा के साथ साथ बच्चों के शारिरिक और मानसिक विकास और मनोरंजन भी ज़रूरी है।

मैदान में अगर इसी प्रकार जलभराव रहा और पूरे मैदान में दलदल और कीचड़ जैसी स्थिति रही तो बच्चें कहाँ खेलेंगे। राज्य सरकार शाला प्रवेशोत्सव मनाकर अपनी वाह वाही लूट रही है तो वहीं दूसरी तरफ दुर्दशा का मंजर हैरान कर देने वाला है। पढ़ाई के साथ खेलकूद को भी अनिवार्य विषय का अघोषित दर्जा देने की दलील देने वाली सरकार की कथनी और करनी में अंतर साफ देखा जा सकता है। जब जिला मुख्यालय में स्थित स्कूल परिसर का यह हाल है। तो दूरंचल और दूरस्थ ग्राम क्षेत्रों की स्थिति क्या होगी इस बात का अंदाज़ा लगाया ही जा सकता है।

By Amitesh Sonkar

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