शोध है नैक मूल्यांकन का अहम् आधार : प्रो. अनिल
- दिग्विजय में प्रगति पर है सात दिवसीय नैक क्राइटेरिया आधारित कार्यशाला
राजनांदगांव। शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय और कला एवं विज्ञानं महाविद्यालय पुलगांव महाराष्ट्र के संयुक्त तत्वाधान में सात दिवसीय नैक मूल्यांकन नवीन निर्देशिका एवं जागरूकता पर आधारित कार्यशाला प्रगति पर है। यह कार्यशाला ब्लेंडेड मोड में प्रगति पर है जिसे ऑफलाइन माधयम से महाविद्यालय के प्राध्यापक एवं कर्मचारी भाग ले रहे है वही ऑनलाइन माध्यम से देश के विभिन्न क्षेत्रो से महाविद्यालयीन प्राध्यापक रोजाना हजारो की संख्या में यूट्यूब लाइव एवं ऑनलाइन मीट के माध्यम से जुड़ रहे है। इस कार्यशाला के अंतर्गत प्रोफेसर अनिल कुमार प्राध्यापक दुर्ग विज्ञानं महाविद्यालय ने क्राइटेरिया तीन के अंतर्गत शोध एवं विस्तार गतिविधियों विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. के. एल. टांडेकर ने स्वागत किया एवं क्राइटेरिया तीन को महत्वपूर्ण बताते हुए प्रो. अनिल कुमार को अपने अनुभव साझा करने कहा। प्रो. अनिल कुमार ने अपने व्याख्यान में शोध सम्बन्धी क्राइटेरिया तीन के सभी बिन्दुओ को विस्तार से बताया जिसमे शोध प्रकाशन, शोध परियोजना, शोध में मौलिकता पर उन्होंने विशेष जोर दिया। शोध से सम्बंधित उक्त विषयों को उन्होंने नैक के ऑनलाइन सॉफ्टवेयर में कैसे भरा जाये इसके लिए सुझाव प्रदान किया। महाविद्यालयों में शोध काउन्सिल, शोध एथिक्स कमिटी के गठन एवं उनके कार्यप्रणाली और उपयोग को विस्तार से बताया।
प्रो. अनिल कुमार ने बताया की आने वाले समय में उनके महाविद्यालय में नैक होना है जिसके लिए उन्होंने किस प्रकार से तैयारी की है उसे तथ्यों के साथ रखा। इस कार्यशाला का आयोजन आतंरिक गुणवत्ता प्रकोष्ठ के समन्वयक डॉ. के. के. देवांगन, सह समन्वयक डॉ. त्रिलोक देव एवं मजीद अली तथा प्रकोष्ठ के सदस्यों के सञ्चालन से हो रहा है। कार्यक्रम का संचालन सुमन बोथरा ने किया, अतिथि का परिचय डॉ प्रमोद कुमार महीश ने दिया, तथा धन्यवाद् ज्ञापन डॉ अनीता साहा ने दिया। कार्यक्रम के अंत में प्राचार्य टांडेकर ने प्रो. अनिल कुमार का आभार व्यक्त करते हुए उन्हें सर्टिफिकेट और प्रतिक चिन्ह भेट किया।

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