वन की कटाई से लगभग 10 जिलें में निवासरत जन समुदाय जल, जंगल और जमीन से होंगे प्रभावित, ‘हसदेव अरण्य’ की प्राण रक्षा हेतु भौतिकशास्त्र स्नातकोत्तर विभाग के छात्र-छात्राओं ने ज्ञापन सौंपा
- शासकीय दिग्विजय स्वशासी महाविद्यालय, भौतिकशास्त्र स्नातकोत्तर विभाग के छात्र-छात्राओं ने ज्ञापन सौंपा गया
- छत्तीसगढ़ राज्य के ‘हसदेव अरण्य’ की प्राण रक्षा हेतु ज्ञापन सौंपा
- कटाई से उस अरण्य में आश्रित वन्यजीव भी प्रभावित व जैवविविधता पर भी होगा असर
- प्राकृतिक वर्षा और आदिवासी जन जीवन की आर्थिक स्थिति होगी प्रभावित
राजनांदगांव। छत्तीसगढ़ प्रदेश के राजनांदगांव जिले के अग्रणी एवं प्रतिष्ठित शासकीय दिग्विजय स्वशासी महाविद्यालय, भौतिकशास्त्र स्नातकोत्तर विभाग के सहायक प्राध्यापक सुरेश पटेल के मार्गदर्शन में विभाग के समस्त छात्र-छात्राओं ने महामहिम राष्ट्रपति के नाम से जिलाधिकारी राजनांदगांव को छत्तीसगढ़ राज्य के ‘हसदेव अरण्य’ की प्राण रक्षा हेतु ज्ञापन सौंपा गया।
विभाग के छात्र – छात्राओं ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य के कोरिया, मनेन्द्रगढ़ व कोरबा जिले में विस्तृत लगभग 1862 हेक्टेयर हसदेव अरण्य में कोयले के खनन के लिए लगभग 4.50 लाख पेड़ो की कटाई की जानी है जो कि प्रकृति के विरुद्ध है। पर्यावरण सम्पदा से आच्छादित इस वन की कटाई से लगभग 10 जिलें कोरिया, मनेन्द्रगढ़- भरतपुर, बिलासपुर, सुरजपुर बलरामपुर, जशपुर कोरबा, सरगुजा सक्ति, जांजगीर-चांपा में निवासरत जन समुदाय जल, जंगल और जमीन से प्रभावित होंगे। पेड़ों की इस कटाई से उस अरण्य में आश्रित वन्यजीव भी प्रभावित होंगे, और जैवविविधता पर भी असर होगा।
इससे प्रदेश की भौगोलिक स्थिति, प्राकृतिक वर्षा और आदिवासी जन जीवन की आर्थिक स्थिति प्रभावित होगी। छत्तीसगढ़ राज्य की पहचान यहाँ की प्राकृतिक सौंदर्य आदिवासी संस्कृति एवं वन सम्पदा से जुड़ा हुआ है जो कि राज्य की प्राण हृदय हसदेव अरण्य’ की कटाई से संकट में है।उक्त ज्ञापन के दौरान विशेष रूप से चित्रलेखा, प्रिया कांडे, पायल सुधाकर, पारसमणी, मनीषा, कुसुम, सुलेखा, शिवानी, मनोज, अंकित, ऋषभदेव व विभाग के सभी विद्यार्थी उपस्थित थे।

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