राजनांदगांव। शास्त्रों के अनुसार ब्रम्हा जी ने जब सृष्टि की रचना की और इसके लिए देव-असुर, गंधर्व, अप्सरा, स्त्री-पुरुष, पशु-पक्षी आदि को जन्म दिया तो इसी क्रम में यमराज का भी जन्म हुआ जिन्हें धर्मराज कहा गया क्योंकि वे धर्म के अनुसार ही प्राणियों को उनके कर्मों के आधार पर फल देते हैं। यमराज ने इस बड़े कार्य के लिए जब ब्रम्हा जी से एक सहयोगी की मांग की तो ब्रम्हा जी ध्यानलीन हो गये और 1000 वर्ष की तपस्या के बाद उनकी काया (शरीर) से एक अंश उत्पन्न हुआ जिसे भगवान श्री चित्रगुप्त जी के नाम से जाना गया, चूंकि इनका जन्म ब्रम्हा जी की काया से हुआ था इसलिए इन्हें कायस्थ कहा गया। इस संसार में जितने भी कायस्थ परिवार हैं वे सभी इनके ही वंशज है। संसार में और जो भी मनुष्य जाति है वे सभी सप्तऋषियों के पुत्र कहलाते हैं, परन्तु सिर्फ कायस्थजन ही देवपुत्र कहलाते है। शास्त्रानुसार भगवान श्री चित्रगुप्त जी किसी भी प्राणी के इस पृथ्वी पर जन्म से लेकर मृत्यु तक उनके कर्मों को अभिलेखित करते रहते हैं। सनातन धर्म के अनुसार भगवान श्री चित्रगुप्त जी को विशेष माना गया है उन्हे देवलोक में धर्म का अधिकारी और सृष्टि का प्रथम न्यायाधीश कहा गया है। भगवान श्री चित्रगुप्त जी की पूजा करने से भक्तों को नर्क की यातना से मुक्ति मिलती है एवं समस्त प्राणियों का भाग्योदय हो जाता है। प्रतिवर्ष गंगा सप्तमी को इनका प्राकट्य दिवस मनाया जाता है, जो इस वर्ष आगामी 8 मई 2022 को मनाया जावेगा।
राजनांदगांव का कायस्थ समाज के अध्यक्ष रमेश लाल श्रीवास्तव ने बताया कि भगवान श्री चित्रगुप्त जी की प्रतिमा का प्राण प्रतिष्ठा पूजन महोत्सव निम्नानुसार सम्पन्न होगा –
प्रथम दिन दिनांक 05/05/2022 दिन गुरुवार को संध्या 5 बजे कलश यात्रा निकाली जावेगी।
द्वितीय दिन, दिनांक 06/05/2022 दिन शुक्रवार को सुबह 9 बजे से देव आवाहन मूर्तियों का जलाधिवास, अन्नाधिवास आदि पूजन कार्य सम्पन्न किये जायेगें। तृतीय दिन, दिनांक 07/05/2022 दिन शनिवार प्रातः 9 बजे से देव पूजन, मूर्तियों का उत्थापन संस्कार, पुष्पाधिवास, पंचामृताधिवास एवं नेत्रोनमलन किया जावेगा तत्पश्चात संध्या 6 बजे शोभायात्रा निकाली जावेगी
चतुर्थ दिन, दिनांक 08/05/2022 रविवार को मूर्तियों का न्यास, प्राण-प्रतिष्ठा जिसका अभिजित मुहूर्त प्रातः 7:55 मिनट से 12:22 मिनट तक रहेगा तत्पश्चात मूर्तियों की प्रथम पूजा, भोग, पूर्णाहूति, आरती एवं प्रसाद वितरण (भण्डारा) का कार्य सम्पन्न होगा।
