एक्स रिपोर्टर न्यूज। राजनांदगांव
सरकारी तनख्वाह लेने वाले स्वास्थकर्मी इनदिनों प्राइवेट अस्पतालों के लिए काम कर हैं। ऐसा हम इसलिए कह रहे है क्योंकि इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों में आने वाले मरीजों को डॉक्टर और जरुरी संसाधनों की कमी बताकर निजी अस्पतालों में रेफर किया जा रहा है और इस कार्य को अंजाम देने का कार्य स्वास्थकर्मी ही कर रहे है। वो भी मोटी कमीशन के लालच में। इस मामले का खुलासा सोशल मीडिया में वायरल हुए वीडियो से हुआ है।
सरकारी अस्पतालों में कमीशन के फेर में रेफर का खेल लंबे समय से चल रहा है। लेकिन अभी तक किसी तरह का साक्ष्य नहीं मिल पाया था। लेकिन शुक्रवार को सोशल मीडिया में वायरल हुए वीडियो में इस मामले पर से पर्दा उठा दिया। सोशल मीडिया में दो वीडियो जारी हुए है। एक में मरीज का परीजन अपनी आपबीती बता रहा है कि किस तरह पेंड्री स्थित मेडिकल कॉलेज अस्पताल जाते ही उसे वहां काम करने वाले स्वास्थकर्मी ने डॉक्टर और जरुरी संसाधनों की कमी बातकर उन्हें प्राइवेट अस्पताल में ले जाने की सलाह दी। वहीं दूसरे वीडियो में मेडिकल कॉलेज अस्पताल के इमरजेंसी गेट के सामने मरीज को प्राइवेट अस्पताल ले जाने के लिए दो निजी एंबुलेंस के चालक आपस में लड़ाई करते नजर आए।
डॉक्टर के नहीं होने का दिया हवाला
मंजीत निर्मलकर निवासी साल्हेमनहोरा, डोंगरगांव ने बताया कि गुरुवार शाम 6:30 बजे मेडिकल कालेज में प्रसव के लिए अपनी पत्नी रिशु निर्मलकर को भर्ती कराया और 7:30 बजे डॉक्टर नही होने का हवाला देकर वहां से प्राइवेट एम्बुलेंस की सहायता से रेफर करवा दिया गया। ठीक 8:00 बजे नार्मल डिलवरी भी हो गई। इस तरह की यह पहली घटना नहीं है, मेडिकल कॉलेज में ऐसा हर रोज होता आ रहा है।
मनमाना बिल थोपकर कर रहे इलाज, प्राइवेट अस्पतालों की हुई चांदी
बड़े सरकारी अस्पतालों के होने के बावजूद पिछले कुछ वर्षों में शहर सहित जिलेभर में प्राइवेट अस्पतालों की संख्या तेजी से बढ़ी है। क्योंकि सरकारी अस्पतालों में जाने वाले मरीजों को प्राइवेट अस्पताल में डायवर्ट किया जा रहा है। निजी संस्थानों की चांदी हो चुकी है। प्राइवेट अस्पतालों में मनमाने ढंग से फीस वसूली की शिकायत आते ही रहती है।
सोनोग्राफी और सिटी स्कैन जैसे जांच भी निजी लैब से
सरकारी अस्पतालों में आने वाले ज्यादातर मरीजों को निजी लैब से सोनोग्राफी और सिटी स्कैन रिपोर्ट लाने की सलाह दी जाती है। जिसके लिए मरीजों को मोटी रकम खर्च करनी पड़ती है। जबकि जिले के बड़े सरकारी अस्पताल में सोनोग्राफी और सिटी स्कैन की सुविधा नि:शुल्क और सस्ते दर पर दी जाती है।
नर्सिंग होम एक्ट का पालन हो रहा है या नहीं, झांकने तक नहीं जाते अफसर
शहर सहित जिलेभर में संचालित निजी अस्पतालों में नर्सिंग होम एक्ट का पालन हो रहा है या नहीं, अफसर झांकने तक नहीं जाते है। ज्यादातर अस्पतालों में एक्ट के नियमावली का पालन नहीं किया जा रहा है। शिकायते भी मिलती है, लेकिन अभी तक किसी पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। ऐसे में निजी अस्पताल संचालकों के हौसले बुलंद है।
शिकायत मिलेगी तो कार्रवाई करेंगे: प्रभारी अधीक्षक
मेडिकल कॉलेज अस्पताल के प्रभारी अधीक्षक डॉ. प्रदीप बेक ने कहा कि कई बार मरीज और उनके परिजन स्वयं ही निजी अस्पताल जाने की बात कहते है, तो उन्हें डिस्चार्ज कर दिया जाता है। स्टॉफ कर्मचारियों के द्वारा मरीजों को निजी अस्पताल भेजने जैसे किसी तरह की शिकायत नहीं मिली है, शिकायत मिलने पर कार्रवाई जरुर की जाएगी।
