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भारत में नाटृय परंपरा की शुरुआत भरत मुनि के नाट्यशास्त्र से माना जाता है : डॉ. चौबे

  • रंगमंच दिवस पर ‘भारतीय नाट्य परंपरा और रंगमंच’ ऑनलाइन व्याख्यान
  • दुनिया का प्राचीनतम लोकमंच भारतीय नाट्य परंपरा से ही प्रारंभ होता है

राजनांदगांव 29 मार्च 2022। प्राचार्य डॉ. के. एल. टाण्डेकर के निर्देशानुसार विश्व रंगमंच दिवस के अवसर पर हिंदी विभाग में ऑनलाइन व्याख्यान आयोजित किया गया। इस अवसर पर ‘भारतीय नाट्य परंपरा और रंगमंच’ विषय पर इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय, खैरागढ़ के थियेटर विभाग के अध्यक्ष डॉ. योगेन्द्र चौबे ने मुख्य वक्ता के रुप में व्याख्यान दिया। व्याख्यान से पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. शंकर मुनि राय ने भारतीय नाट्य परंपरा में मंगलाचरण की भूमिका पर प्रकाश डाला और डॉ. चौबे का परिचय कराते हुए व्याख्यान के लिए आमंत्रित किया। व्याख्यान के अंत में डॉ. नीलम तिवारी ने आभार प्रकट किया।

डॉ. योगेन्द्र चौबे ने अपने व्याख्यान में कहा कि भारत में नाटृय परंपरा की शुरुआत भरत मुनि के नाट्यशास्त्र से माना जाता है, जिसमें लोक को गुरुओं का गुरु कहा गया है। इस अर्थ में नाटक का मूल स्वर लोक जीवन बताया गया है। संस्कृत साहित्य में नाटकों की प्राचीन परंपरा के साथ ही हिंदी और छत्तीगढ़ी नाटकों की रंगमचीय परंपरा का उल्लेख करते हुए इसे महान बताया। डॉ. चौबे ने कहा कि दुनिया का प्राचीनतम लोकमंच भारतीय नाट्य परंपरा से ही प्रारंभ होता है।

By Amitesh Sonkar

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