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राजनांदगांव। कोरोना काल में जिले में संचालित लगभग 30 प्रायवेट स्कूल बंद हो गए और लगभग पंद्रह सौ गरीब बच्चे इन बंद स्कूलों में पढ़ रहे थे जिनकी गलत जानकारी लगातार शिक्षा विभाग के द्वारा छग विधानसभा में भेजा जा रहा है।
शिक्षा विभाग के द्वारा छग विधानसभा में दो बार यह जानकारी दिया गया कि कोरोना काल में बंद हुए सभी प्रायवेट स्कूलों में अध्यनरत् आरटीई के सभी गरीब बच्चों को आस-पास के स्कूलों में प्रवेश दिलाया गया है, जबकि पीड़ित पालको ने शिक्षा विभाग की इस जानकारी की पोल खोल कर रख दी है, क्योंकि दो पीड़ित पालकों ने कलेक्टर और पुलिस विभाग में यह जानकारी दिया है कि उनके बच्चे बंद स्कूलों में आरटीई कानून के अंतर्गत पढ़ रहे थे जिन्हे आज तक किसी भी स्कूल में प्रवेश नही दिलाया गया और शिक्षा विभाग ने छग विधानसभा में मिथ्या और त्रुटिपूर्ण जानकारी भेजा गया है जो गंभीर प्रवृति का है और पीड़ित पालको ने अब जिम्मेदार अधिकारी के विरूद्ध कार्यवाही की मांग कर रहे है।
छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन के द्वारा भी शिक्षा विभाग पर यह आरोप लगाया जा रहा है कि बंद प्रायवेट स्कूलों और उनमें प्रवेशित गरीब बच्चों के संबंध में शिक्षा विभाग के द्वारा सदन में गलत जानकारी भेजा गया और अब जिम्मेदार व्यक्तियों पर सख्त कार्यवाही किया जाना चाहिए, लेकिन शिक्षा विभाग ने आज तक इस मामले में जांच तक नहीं कराया और मामले को दबाने में लगा हुआ है, लेकिन जैसे ही पीड़ित पालक के द्वारा पुलिस विभाग में लिखित शिकायत किया तो शिक्षा विभाग अचानक सक्रिय नजर आ रहा है और दोषीयों को बचाने में लग गया है, लेकिन एसोसियेशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल का कहना है कि शिक्षा विभाग ने छग विधानसभा में गलत जानकारी दिया है, इसके दस्तावेजी साक्ष्य नवपदस्थ जिला शिक्षा अधिकारी को भी सौंपा जा चुका है और कार्यवाही की मांग किया गया है, यदि कार्यवाही नहीं होता है तो छग राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग, रायपुर में शिकायत करेंगे।

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