फोटो-घटियारी ताल के समीप प्राचीन शिव मंदिर कुछ ऐसा है।
एक्स रिपोर्टर न्यूज। राजनांदगांव
कल देवो के देव महादेव के पूजन का विशेष दिन है। इस खास पर्व के मौके पर एक्स रिपोर्टर आपको ऐेसे धार्मिक दर्शनीय स्थल से रूबरू करा रहा है, जिसके बारे में बहुत कम ही लोग जानते है। आपको ले चलते है राजनांदगांव जिला मुख्यालय से 79 किलोमीटर दूर बिरखा घटियारी में। गंडई से पांच किलोमीटर दूर इस जगह में है भोरमदेव समकालीन प्राचीन शिव मंदिर। जिज्ञासा वाली बात ये है कि 41 साल पहले तक कोई जानता भी नहीं था इस जगह पर प्राचीन शिव मंदिर है। जमीन में दफ्न यह मंदिर वर्ष 1979 में टीले के उत्खनन से प्रकाश में आया। हालांकि सैकड़ों वर्ष तक जमीन में दफ्न रहने की वजह से मंदिर का ज्यादातर हिस्सा टूट चुका है।
10वीं-12वीं ईसवी में कराया गया था मंदिर का निर्माण
छग संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग सर्वे रिपोर्ट के अनुसार यह एक पूर्वामुखी मंदिर है। जिसका निर्माण पत्थरों से किया गया है। इस मंदिर में मंडप और गर्भगृह दो अंग है। कवर्धा के फणि नागवंशीय राजाओं के राज्यकाल में करीब 10वीं-12वीं ईसवी में इस मंदिर का निर्माण कराया गया, ऐसा पुरातत्ववेताओं का कहना है। रोचक बात ये है कि इस मंदिर के दोनों साइड पर सूक्ष्म कुंड निर्मित है। पुरातत्ववेता की माने तो यह कुंड पानी एकत्र करने के लिए बनाए गए थे, इसी पानी से स्वत: ही गर्भगृह के जलधारी में स्थापित शिवलिंग का जलाभिषेक होता था।
मंडप में है देवी देवताओं की खंडित प्रतिमाएं
मंडप में भगवान गणेश, भैरव, महिषासुर मर्दनी तथा अन्य खंडित प्रतिमाएं रखी हुई है। गर्भगृह के अलकृंत द्वार चौखट पर घट पल्लव और कीर्तिमुख का अंकन है। दाएं और बांए द्वार चौखट पर नीचे के भाग में त्रिभंग मुद्रा में चर्तुर्भुजी शैव प्रतिहार प्रदर्शित है। इस मंदिर परिसर में पौराणिक काल के दौरान अन्य शिव मंदिरों का भी निर्माण होता रहा है, जिनके ध्वस्त अवशेष स्थल पर बिखरे पड़े हुए है। स्थानीय लोगों की माने तो इस मंदिर के संबंध में ज्यादा लोग नहीं जानते है। महाशिवरात्रि के अवसर पर दर्शन करने जरुर जाएं।

B.J.M.C.
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