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कर्तव्यों के बिना अधिकार अधूरे हैं : हेमंत नंदागौरी

राजनांदगांव। शासकीय दिग्विजय स्वशासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय, प्राचार्य के एल टांडेकर के निर्देशन में रसायन शास्त्र विभाग द्वारा भारतीय संविधान विषय पर  25 फरवरी को व्याख्यान आयोजित किया गया। कार्यक्रम में महाविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग में सहायक प्राध्यापक हेमंत नंदागौरी व्याख्यान प्रस्तुत किया गया। प्रो नंदागौरी ने बताया कि भारत का संविधान,  भारत  का सर्वोच्च  विधान  है जो  संविधान सभा द्वारा 26 नवम्बर 1949 को पारित हुआ तथा 26 जनवरी 1950 से प्रभावी हुआ। 26 नवम्बर को भारत के  संविधान दिवस तथा 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। भीमराव अंबेडकर  को भारतीय संविधान का निर्माता कहा जाता है। भारत का संविधान विश्व के किसी भी गणतान्त्रिक देश का सबसे लम्बा लिखित संविधान है। सहायक प्राध्यापक नन्दा गौरे ने लोक कल्याण की अभिवृद्धि से संबंधित नीति के निदेशक तत्व  के बारे में बताया। उन्होंने मूल अधिकारों कथा कर्तव्यों से विद्यार्थियों को अवगत कराया। संविधान द्वारा मूल रूप से सात मूल अधिकार प्रदान किए गए थे- समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार, धर्म, संस्कृति एवं शिक्षा की स्वतंत्रता का अधिकार, संपत्ति का अधिकार तथा संवैधानिक उपचारों का अधिकार। संविधान का पालन करना और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्रध्वज एवं राष्ट्र गान का आदर करने हेतु प्रेरित किया। उन्होंने संविधान से संबंधित विद्यार्थियों के विभिन्न प्रश्नों के उत्तर दिए। कार्यक्रम में प्रोफेसर गोकुल निषाद, प्रोफेसर रीमा साहू, डॉ डाकेश्वर कुमार वर्मा, प्रोफेसर विकास कांडे, डॉ अश्वनी कुमार शर्मा एवं विभाग के अतिथि व्याख्याता विभा विश्वकर्मा, भारती यारदा, लिकेश्वर सिन्हा उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ प्रियंका सिंह के द्वारा किया गया।

By Amitesh Sonkar

Sub editor

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