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*जनजाति गौरव दिवस पर रवेली में हुआ कार्यक्रम*
भगवान बिरसा मुण्डा को 150 जयंती पर किया नमन l

कवर्धा। शहीद नरेन्द्र शर्मा शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय रवेली में राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवकों के द्वारा 01 नवम्बर से 15 नवम्बर 2025 तक जनजाति गौरव दिवस पखवाड़ा कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें विद्यालय के विद्यार्थी विभिन्न गतिविधियों में शामिल हुए , जनजाति नायकों के सन्दर्भ में उद्बोधन में प्रथम द्वितीय,तृतीय क्रमशः दुर्गा, देवेंद्र,दुर्गेश रहा, कविता लेखन में पीहू डाहिरे, रंगोली प्रतियोगिता में दीपाली चंद्रवशी , निबंध लेखन में मूलचंद भास्कर, भाषण संवाद , चित्रकला प्रतियोगिता में अर्चना निषाद,आकांक्षा चंद्रवंशी,मूलचंद ,दीपाली चंद्रवंशी ने शानदार चित्रकला प्रस्तुत किया l

समापन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सुश्री राधिका मंडावी (व्याख्याता), मनोहर सिंह धुर्वे (सहायक शिक्षक) थे जिन्होंने जनजाति गौरव दिवस के वाचन के पश्चात अपने उद्बोधन में बताया कि भगवान बिरसा मुण्डा जन्म 15 नवंबर 1875 को झारखंड के उलीहातु में हुआ। जिनके माता करमी हातू, पिता सुगना मुण्डा थे। उनका नाम जन्म के दिन गुरुवार होने से ‘बिरसा’ रखा गया। इसलिए 15 नवंबर को भगवान बिरसा मुण्डा का जन्मदिवस ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। उनका बलिदान राष्ट्र के लिए प्रेरणा स्रोत है। उनकी 150 वीं जयंती पर संपूर्ण समाज से आवाहन करता है कि भगवान बिरसा के विचारों को अपनाकर स्वबोध से युक्त संगठित व स्वाभिमानी समाज निर्माण में भूमिका निभाएँ।

भारत में जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों की दीर्घ परंपरा रही है और उनका योगदान स्वाधीनता संग्राम में अविस्मरणीय है।बिरसा ऐसा व्यक्तित्व हैं जिन्होंने तत्कालीन जनजातीय समाज की सीमाओं को तोड़कर राष्ट्र और धर्म के परिप्रेक्ष्य में अमूल्य योगदान दिया। सिर्फ 25 वर्ष में बिरसा ने निर्धनता व संसाधनहीन परिस्थितियों में सांस्कृतिक पुनर्जागरण की लहर पैदा की उनका जीवन देवतुल्य प्रतीत होता है। बचपन से कुशाग्र बुद्धि वाले बिरसा ने वाह्य षड्यंत्रों और सामाजिक कुरीतियों का प्रतिकार किया और वनवासियों को जंगल बचाने हेतु संगठित किया।धर्म संचेतना, समाज संचेतना, स्त्री संचेतना, उपनिवेशवाद और ब्रिटिश साम्राज्यवाद के विरोध तक सभी विषयों पर विवेकपूर्ण विचार व्यक्त किए। उनके द्वारा किए कार्य और योगदान के कारण ही बिरसा की प्रतिमा संसद भवन परिसर में स्थापित है। देशभर में उनके नाम पर कई संग्रहालय और संस्थान संचालित हैं। स्वतंत्रता के महान नायक का विचार था कि “ कोई भी धर्म यह नहीं सिखाता कि किसी जाति, समुदाय, परंपरा या सांस्कृतिक भावना का मान- मर्दन किया जाए। जो धर्म ऐसा करे, बिरसा उसके विरुद्ध है।”

कार्यक्रम का प्रारंभ भगवान बिरसा मुण्डा के तैल्य चित्र में पुष्प और माल्यार्पण कर मुख्य अतिथियों का पुष्पगुच्छ से स्वागत किया गया इस कार्यक्रम में संस्था के प्राचार्य हरिनारायण पाण्डेय ,मुख्य अतिथि सुश्री राधिका मंडावी (व्याख्याता), मनोहर सिंह धुर्वे (सहायक शिक्षक) वीरेन्द्र कुमार शर्मा व्याख्याता, विजय चंद्रवंशी व्याख्याता, राष्ट्रीय सेवा योजना कार्यक्रम अधिकारी जितेन्द्र कुमार राजपूत व्याख्याता , सहायक कार्यक्रम अधिकारी किशन लाल सत्यवंशी व्याख्याता , पूनम नाथ योगी व्यावसायिक शिक्षक भावना साहू व्यावसायिक शिक्षक, समस्त स्कूल स्टाफ, रा.से.यो. स्वयं सेवक , समस्त विद्यार्थी उपस्थित थे l

By Rupesh Mahobiya

Bureau Chief kawardha

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