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बाल श्रम मुक्त जिला बनाने के लिए शुरू हो राष्ट्रीय मिशन

कृषक सहयोग संस्थान कबीरधाम ने साल भर में बाल मजदूरी से मुक्त कराए 32 बच्चे

कवर्धा। बाल अधिकारों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए नागरिक समाज संगठनों के देश के सबसे बड़े नेटवर्क जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (जेआरसी) के सहयोगी संगठन कृषक सहयोग संस्थान चला रहा कबीरधाम जिले में बाल श्रम के खिलाफ अभियान

बाल मजदूरी के खात्मे के लिए राष्ट्रीय बाल श्रम उन्मूलन मिशन शुरू करने और इसके लिए पर्याप्त संसाधनों के आवंटन की मांग 18 साल तक के बच्चों की मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा और पीड़ित बच्चों के पुनर्वास के लिए बाल

मजदूर पुनर्वास कोष बनाया जाए

विश्व बाल श्रम निषेध दिवस पर जिले में बाल अधिकारों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए काम कर रहे संगठन

कृषक सहयोग संस्थान ने कहा कि बाल अधिकारों के मोर्चे पर जिला प्रशासन व नागरिक समाज में जो सजगता व समन्वय दिख रहा है, उससे यह विश्वास जगता है कि हम जल्द ही बाल श्रम मुक्त कबीरधाम जिले का नाम का सपना साकार होते देखेंगे। संगठन ने कहा कि पिछले एक साल में जिला प्रशासन के सहयोग से उसने जिले में. बाल श्रम के खिलाफ छापामार अभियान चलाए और इस दौरान 32 बच्चों को मुक्त कराया। आज विश्व बाल श्रम निषेध दिवस पर भी कृषक सहयोग संस्थान ने छापों की कार्रवाई की और 7 बच्चों को बाल मजदूरी से मुक्त कराया। इसके अलावा, जिले में इस मौके पर कई कार्यक्रमों का आयोजन हुआ जिसमें बाल मजदूरी के खिलाफ लोगों को जागरूक किया गया और इसके खात्मे का संकल्प लिया गया। इस दौरान बाल मजदूरी के पूरी तरह खात्मे के लिए राष्ट्रीय बाल श्रम उन्मूलन मिशन शुरू करने, इसके लिए पर्याप्त संसाधनों का आवंटन और जिलों में जिला स्तरीय चाइल्ड लेबर टास्क फोर्स के गठन की मांग की।

कृषक सहयोग संस्थान देश में बाल अधिकारों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए देश के नागरिक समाज के सबसे बड़े नेटवर्क जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (जेआरसी) का सहयोगी संगठन है। जेआरसी के 250 से भी ज्यादा सहयोगी संगठन देश के 418 जिलों में जमीन पर बाल श्रम, बाल विवाह, बाल यौन शोषण और बच्चों की ट्रैफिकिंग के खिलाफ काम कर रहे हैं। जेआरसी ने बच्चों की सुरक्षा के लिए कानूनी हस्तक्षेप कार्यक्रम ‘न्याय तक पहुंच’ के जरिए पिछले दो वर्षों में 85,000 से ज्यादा बच्चों को बाल मजदूरी से मुक्त कराया है और 54,000 से ज्यादा मामलों में कानूनी कार्रवाई शुरू की।

कृषक सहयोग संस्थान के निदेशक डॉ एच बी सेन ने रिपोर्ट के हवाले से कहा, “बाल श्रम के खात्मे की दिशा में दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले भारत का प्रदर्शन काफी बेहतर रहा है और इसका श्रेय राज्य सरकार और जिला प्रशासन की सतर्कता और संवेदनशीलता को जाता है। हमने जिले में अब तक 39 बाल मजदूरों को मुक्त कराया है और उनके पुनर्वास की दिशा में भी प्रयास किए हैं।” उन्होंने कहा कि पीड़ितों के पुनर्वास और अपराधियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई से ही बाल मजदूरी पर रोक लग पाएगी और भारत इस दिशा में आगे बढ़ रहा है।”

उन्होंने बाल श्रम के खात्मे के लिए समग्र नीतिगत बदलावों, सरकारी खरीदों में बाल श्रम का इस्तेमाल कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति, 18 साल तक मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा, पीड़ित बच्चों के पुनर्वास के लिए बाल मजदूर पुनर्वास कोष की स्थापना, खतरनाक उद्योगों की सूची में विस्तार, राज्यों को उनकी विशेष जरूरतों के हिसाब से नीतियां बनाने, बाल मजदूरी के खात्मे के लिए सतत विकास लक्ष्य 8.7 की समय सीमा को 2030 तक बढ़ाने, दोषियों के खिलाफ सख्त व त्वरित कानूनी कार्रवाई की मांग की।

जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन के राष्ट्रीय संयोजक रवि कांत ने कहा कि भारत अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के कन्वेंशन 182 यानी बाल श्रम को रोकने की अंतरराष्ट्रीय संधि का हस्ताक्षरकर्ता देश है जिसमें बाल श्रम के सभी खतरनाक स्वरूपों को खत्म करने की प्रतिबद्धता जताई गई है। भारत इस दिशा में सार्थक प्रयास कर रहा है जिसके सुखद परिणाम भी सामने आए हैं। उन्होंने कहा, “विकसित भारत के सपने को पूरा करने के लिए बाल श्रम मुक्त आपूर्ति श्रृंखला, कौशल विकास और शिक्षित व जिम्मेदार नागरिक पहली शर्त हैं। हमें बाल श्रम को कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति पर अमल करते हुए दोषियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई करने की जरूरत है। सरकार को अभियोजन तंत्र को मजबूत करते हुए एक बाल मजदूर पुनर्वास कोष स्थापित करने व इन बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक समग्र पुनर्वास नीति पर काम करना चाहिए।

By Rupesh Mahobiya

Bureau Chief kawardha

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