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राजनांदगांव। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा हाल ही में शुरू की गई ‘सुशासन तिहार’ एक बार फिर जनता को उम्मीदों का सपना दिखा रही है। आवेदन लिए जा रहे हैं, मंच सजाए जा रहे हैं, और तंत्र दिखा रहा है कि वह जनसुनवाई के लिए प्रतिबद्ध है। लेकिन सवाल यह है कि जो आवेदन वर्षों से जनदर्शन में दिए गए, जिन फाइलों पर धूल की मोटी परत चढ़ चुकी है, उनका क्या?

आम आदमी पार्टी के युवा और संघर्षशील नेता एवं वरिष्ठ पत्रकार कमलेश स्वर्णकार ने इसी सवाल को सरकार के सामने खड़ा करते हुए कहा, “नई योजनाएं लाना बुरा नहीं, लेकिन जब तक पुरानी समस्याओं का ईमानदारी से समाधान नहीं किया जाएगा, तब तक सुशासन सिर्फ एक दिखावा ही रहेगा।”

उन्होंने कहा कि शासन-प्रशासन के हर वादे और योजना का मूल्यांकन सिर्फ इस आधार पर होना चाहिए कि जमीनी स्तर पर कितने लोगों को वास्तविक लाभ मिला। “सिर्फ आवेदन लेना और जनदर्शन करवाना काफी नहीं है, जरूरत है पुराने आवेदनों की समीक्षा कर उन्हें प्राथमिकता देने की। वरना यह सिर्फ उत्सव होगा, व्यवस्था नहीं।”

स्वर्णकार ने प्रशासन से माँग की है कि अब तक प्राप्त सभी जनदर्शन और आवेदन योजनाओं की सूची सार्वजनिक की जाए। उनका समाधान हुआ या नहीं, यह जानकारी ऑनलाइन पोर्टल पर जनहित में डाली जाए। जिन मामलों में वर्षों से कोई कार्यवाही नहीं हुई, उनकी जवाबदेही तय की जाए। एक स्वतंत्र मॉनिटरिंग टीम गठित की जाए, जिसमें प्रशासनिक अधिकारियों के साथ सामाजिक कार्यकर्ता और मीडिया प्रतिनिधि भी हों, जो हर स्तर पर आवेदन निपटान की निगरानी करें।

कमलेश स्वर्णकार जी का कहना है कि सैकड़ों-हज़ारों लोग आज भी इस आस में जी रहे हैं कि कभी न कभी उनकी अर्ज़ी सुनी जाएगी। पर हकीकत यह है कि उनकी फ़ाइलें सिस्टम की सुस्ती और संवेदनहीनता की भेंट चढ़ चुकी हैं। स्वर्णकार ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही इन मांगों पर गंभीर पहल नहीं की गई, तो आम आदमी पार्टी जनजागरण अभियान शुरू करेगी, जिसमें जनता खुद अपने सवाल लेकर सड़कों पर उतरेगी।

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