- क्लाइमेट चेंज को जानने से पहले प्रकृति को जानना आवश्यक है : डॉ. श्याम नारायण लाभ
- प्रकृति में प्रत्येक प्राणी की अपनी भूमिका है : कलेक्टर संजय अग्रवाल
- आज का विकास कल का विनाश न हो : संजय अग्रवाल
राजनांदगांव । शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय राजनांदगांव, प्राचार्य डॉ. सुचित्रा गुप्ता के निर्देशन एवं प्राणी शास्त्र विभाग के तत्वावधान में “सस्टेनेबल डेवलपमेंट एंड क्लाइमेट चेंज” विषय पर तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है । सेमिनार के शुभारंभ में राजनांदगांव कलेक्टर, संजय अग्रवाल, त्रिभुवन विश्वविद्यालय, काठमांडू, नेपाल, डॉ. श्याम नारायण लाभ, प्राचार्य, आर्मी स्कूल, काठमांडू नेपाल, बबीता लाभ, वरिष्ठ वैज्ञानिक, अराद रोमानिया, डॉ. नेमत राडू लोनल, प्राणी शास्त्र विभाग के सेवानिवृत्त प्रो. आर. पी. दीक्षित, दिग्विजय महाविद्यालय प्राचार्य, डॉ. सुचित्रा गुप्ता, सेमिनार संयोजक/विभागाध्यक्ष डॉ. किरण लता दामले, सेमिनार विस्तार संयोजक डाॅ. संजय ठिस्के की उपस्थित में शुभारंभ हुआ ।
कार्यक्रम की शुरुआत में सेमिनार का सोविनियर एवं प्राणी शास्त्र विभाग के प्राध्यापक डॉ. संजय ठिस्के एवं छात्र गगन सिंह गुरु द्वारा लिखित किताब का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया ।
प्राणी शास्त्र विभाग के सेवानिवृत्त प्रो. आर. पी. दीक्षित को लाईफ टाईम अचीवमेंट सम्मान से सम्मिलित किया गया ।
सेमिनार के मुख्य अतिथि, कलेक्टर, राजनांदगांव संजय अग्रवाल ने अपने उद्बोधन में कहा कि मनुष्य सुविधा भोगी हो गया है और सुविधाओं की जड़ में विनाश है, हमें अपने समाज, देश और ब्रह्मांड के लिए जीना चाहिए, हमें भविष्य के प्रति सतर्क होना चाहिए और आने वाली पीढ़ी को समृद्ध पर्यावरण मिल सके ऐसी कोशिश करनी चाहिए। आगे उन्होंने बताया कि प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक दोहन के कारण जलवायु परिवर्तन होता है, जिसके कारण बारिश में कमी, तापमान का बढ़ना, मृदा क्षरण, वाटर लेवल में निरंतर कमी इसके प्रमुख परिणाम है आज हम देखते हैं कि एक तरफ बाढ़ की स्थिति है तो दूसरी तरफ जंगलों में आग लगी है ।
मुख्य वक्ता वरिष्ठ वैज्ञानिक, डॉ. नेमत राडू लोनल ने पशु कल्याण और ग्रहण प्रजनन कार्यक्रमों के नकारात्मक प्रभाव के संबंध पर गहण जानकारी दिया उन्होंने एंथ्रोपोसेंट्रीक, बायोसेंट्रिक, पैथोसेंट्रिक और जूसेंट्रिक थ्योरी पर गंभीर चर्चा की । इसके साथ ही एथिकल मोटिवेशन, इकोनामिक मोटिवेशन एवं एक्स्ट्राऑर्डिनरी, मेटाबॉलिक आफ इंटेलिजेंस ऑफ काउस को विस्तार से बताया ।
सत्र के अध्यक्ष डॉ. श्याम नारायण लाभ ने सस्टेनेबल साइंस फॉर सोसाइटी ऑपच्यरुनिटीज ऑर चैलेंजस विषय पर बोलते हुए कहा कि क्लाइमेट चेंज को जानने से पहले प्रकृति को जानना आवश्यक है अगर मानव प्रकृति को छेड़ता है तो जलवायु परिवर्तन होता है। उन्होंने रोचक प्रसंगों के द्वारा प्रकृति की मूल सिद्धांत, अनेक जलवायु चक्र परिवर्तन के विभिन्न सायकलों के प्रमुख कारकों पर विस्तृत चर्चा की । एवं सस्टेनेबिलिटी की अवधारणा उसके विभिन्न कारकों एबीसीडी मेथाडोलॉजी शोध पत्रों की गुणवत्ता, मौलिकता पर प्रतिभागियों को विस्तार से जानकारी दी । उन्होंने तीन तरफ से जल से घिरे दिग्विजय महाविद्यालय की तुलना जलनारायण से की ।
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. सुचित्र गुप्ता ने कहा कि यह ऐतिहासिक क्षण है कि महाविद्यालय द्वारा चौथा अंतरराष्ट्रीय सेमिनार आयोजित किया जा रहा है । जलवायु परिवर्तनों के करणों एवं उसके परिणामों को जानना मनुष्य की नैतिक जिम्मेदारी है और उसका कर्तव्य है कि वह पर्यावरण की सुरक्षा हेतु सतत सजग रहे एवं उसके विकास के लिए कार्य करें ।
सेमिनार की संयोजक / विभागाध्यक्ष डॉ. किरण लता दामले ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए अतिथियों का स्वागत किया ।
विभागीय प्राध्यापक एवं सहसंयोजक डाॅ. संजय ठिस्के ने सेमिनार के उद्देश्यों और लक्ष्यों के बारे में बताया । तकनीकी सत्र में अनेक प्रतिभागियों ने अपने शोध पत्र का वाचन किया । इस सेमिनार में देश-विदेश के विद्वान प्रतिभागी एवं विद्यार्थीगण हाइब्रिड मोड़ से जुड़े थे ।
सेमिनार का संचालन डॉ. नीलू श्रीवास्तव और प्रियंका सिंह ने किया ।
