✍️ लाला कर्णकान्त श्रीवास्तव
फाइल फ़ोटो– अमित मिश्रा नियम के विपरीत शराब दुकान में ज्वलनशील पदार्थ के साथ जन्मदिन मनाते हुए।
एक्स रिपोर्टर न्यूज़। राजनांदगांव
आबकारी विभाग के पूर्व प्लेसमेंट कर्मचारी अमित मिश्रा के मामले में हमारी सिलसिलेवार पड़ताल जारी है। भ्रष्टाचार के आरोप से घिरे अमित मिश्रा को एक ओर जहां लिखित बयान के उलट पुलिस ने मामूली कार्रवाई कर खुला छोड़ दिया। वहीं इससे पहले थोक में आए शिकायतों को बदलवाकर आबकारी विभाग मिश्रा को संरक्षण देता रहा। सूचना का अधिकार के तहत निकाले गए दस्तावेजों से यह साफ पता चल रहा है कि आबकारी विभाग के अधिकारी और बाबुओं के सिंडिकेट ने अमित मिश्रा के बचाव के लिए कवच का काम किया। शराब की ओवर रेटिंग, कोचिया को मदिरा सप्लाई, जबरिया वसूली की तमाम शिकायतों को बदलवाने के लिए किस तरह अधिकारी और बाबुओं ने पहले तो शिकायतकर्ता प्लेसमेंट कर्मियों को डराया फिर नौकरी से निकालने की धमकी देकर बयान से पलटवाया। अमित मिश्रा को क्लीन चिट देने के लिए तत्कालीन आबकारी इंस्पेक्टरो का भी पक्ष में लिखित बयान लिया गया।
इसी साठगांठ के चलते अमित मिश्रा का काला कारोबार बेझिझक चलता रहा। काली कमाई को लेकर जब मिश्रा और अधिकारी-बाबुओं के सिंडिकेट के बीच आपस में नोकझोक होने लगी तो चिराग से निकले जिन्न की तरह मामला सबके सामने आ गया। इसके बाद से शुरू हुई पड़ताल में एक-एककर दबे रहस्य उजागर होने लगे और अब अमित मिश्रा के साथ आबकारी महकमा भी जांच के दायरे में घिरता जा रहा है। आश्चर्य की बात तो यह है कि प्रदेश और जिले में अवैध शराब के कारोबार पर अंकुश लगाने का दावा करने वाली सत्ता सरकार और प्रशासन इस मामले में कार्रवाई करने को लेकर रुचि नहीं दिखा रही है। यदि इस मामले की सही तरीके से जांच की जाती है तो कई महत्वपूर्ण तथ्यों का खुलासा होगा और आबकारी विभाग के कर्मचारियों से लेकर अधिकारी भी कटघरे में नजर आएंगे।
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