एक्स रिपोर्टर न्यूज़ । राजनांदगांव
शहर और गांव में क्लीनिक खोलकर अवैध कारोबार चलाने वाले झोलाछाप डॉक्टरो के खिलाफ कार्रवाई करना छोड़ इन दिनों स्वास्थ्य विभाग उन्हें माला (सम्मान) पहनाने की तैयारी कर रहा है। जबकि झोलाछाप डॉक्टरों की सूची विभाग के पास शुरू से है। एक्शन लेने के बजाय अधिकारी दिवाली-होली भेंट-मिलन कर ऐसे डॉक्टरों को संरक्षण देते आ रहे हैं। अब एक बार फिर पंजीयन की आड़ में तिलक (राशि) बटोरने का जुगाड़ किया जा रहा है।
जानकारी अनुसार हाल ही में पुलिस की ओर से शहर और आसपास के ग्रामीण इलाकों में क्लीनिक खोलकर दुकानदारी करने वाले झोलाछाप डॉक्टरों को नोटिस भेजा गया है। नोटिस मिलने से सकते में आए 50 से अधिक डॉक्टर अब स्वास्थ्य विभाग का चक्कर काट रहे हैं। गौर करने की बात यह है कि जिन डॉक्टरों को नोटिस भेजा गया है। उनकी सूची स्वास्थ्य विभाग से ही पुलिस के पास भेजी गई है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब विभाग को पहले से ही सब की जानकारी है तो फिर आज तक कार्रवाई क्यों नहीं की गई? इसी का जवाब ऊपर की पंक्तियों में लिखा गया है। जब कभी भी इस मामले को लेकर शिकायत की गई तो अफसरों ने राजस्व विभाग और पुलिस का सहयोग नहीं मिलने का हवाला देकर कार्रवाई से मुंह मोड़ लिया। अब जब ऊपर से आदेश आया तब अधिकारी झोलाछाप डॉक्टरों की कुंडली निकालने में जुट गए हैं।
न डिग्री न लाइसेंस टेबल लगाया और खोल दी क्लीनिक
गौरतलब है कि जिले में बंगाली, यूनानी तरीके से इलाज का दावा कर रहे झोलाछाप डॉक्टर मरीजों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। जिले में अल्टरनेटिव मेडिसिन की डिग्री के नाम पर प्रैक्टिस करने वालों की लंबी फेरहिस्त है। जिन पर स्वास्थ विभाग की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। यूं कहे कि स्वास्थ विभाग के कायदे कानून ऑफिस की चारदिवारी में ही सिमट के रह गए है। कार्रवाई नहीं होने के कारण अवैध तरीके से संचालित इन क्लीनिक में उपचार के साथ ऑपरेशन तक किए जाने लगे है।
सड़क किनारे तंबू तानकर कई अनपढ़ खुद को नाड़ी वैद्य बताकर उपचार के नाम पर लोगों को ठग रहे हैं। गांव, बस्ती और गली में कोई न कोई बगैर डिग्री का डॉक्टर नजर आ जाता है, जो अस्पताल खोलकर लोगों का उपचार कर रहा है। खासकर सीजन में इनका धंधा जोरो पर रहता है। राजनांदगांव के आसपास क्षेत्र और ग्रामीण इलाकों के अलावा तुमड़ीबोड़, डोंगरगांव, छुरिया, डोंगरगढ़ में हल्की डिग्री लेकर बिना किसी लाइसेंस के क्लीनिक संचालन करने वालों की संख्या सर्वाधिक है।
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