✍️ लाला कर्णकान्त श्रीवास्तव
फाइल फोटो
एक्स रिपोर्टर न्यूज़ । राजनांदगांव
शराब विक्रय में भ्रष्टाचार, वसूली, ओवर रेटिंग, अवैध कारोबार, धमकी और ब्लैकमेलिंग जैसे गंभीर आरोपों से घिरे आबकारी प्लेसमेंट कंपनी के पूर्व प्लेसमेंट अधिकारी अमित मिश्रा के खिलाफ मामूली धाराओं के तहत कार्यवाही करना, राजनांदगांव पुलिस की कार्य प्रणाली पर पहले ही प्रश्न चिन्ह लगा चुका है। आखिर पुलिस ने ऐसा क्यों किया? इसके पीछे की सच्चाई जानने के लिए हमने सिलसिलेवार पड़ताल की। सूचना का अधिकार के तहत पुलिस जांच की कॉपी निकाली गई। प्राप्त दस्तावेज से चौंकाने वाले तथ्यों का खुलासा हुआ है।
अभी तक हमें लग रहा था कि शिकायतकर्ता सुपरवाइजर अपने बयान में पलट गए होंगे! लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं हुआ। शिकायत के आधार पर ही 12 सुपरवाइजर ने लिखित बयान पुलिस को दिया था। जिसमें साफ-साफ बताया गया कि अमित मिश्रा उन पर दबाव डालकर कोचिया को कमीशन के बदले शराब की पेटी उपलब्ध कराया करता था। महीने के महीने उनसे लाखों रुपए की अवैध वसूली करता था। विरोध करने पर नौकरी से निकाल देने, जान से मारने की धमकी और जातिगत गाली गलौज किया करता था। शासकीय शराब दुकान में कार्य करने वाले कोई भी सुपरवाइजर और कर्मचारी उसके खिलाफ ना जाए इसलिए सबसे कोरे कागज में हस्ताक्षर कराकर अपने पास जमा रखा था।
जिसे बनाया प्रार्थी उसने भी दिया था एक जैसा बयान
बीते जुलाई महीने में अमित मिश्रा के खिलाफ पुलिस ने जातिगत गाली गलौज के साथ धारा 294, 506 के तहत कार्रवाई की थी। इस प्रकरण में सुपरवाइजर धनपत ध्रुव को प्रार्थी बनाया गया था। चौकाने वाली बात यह है कि धनपत ध्रुव ने भी वही बयान दिया था जो बाकी सभी सुपरवाइजर ने दिया था। फिर भी मामूली धाराओं में कार्रवाई करना कई सवालों को जन्म दे रहा है। जबकि इस पूरे मामले की जांच की कमान खुद वर्तमान नगर पुलिस अधीक्षक ने संभाल रखी थी। फिर इतनी बड़ी चूक कैसे हो गई? आम जनता के लिए है यह जानना बेहद जरूरी हो चुका है।
पीड़ितों के बयान के साथ ऑडियो क्लिप भी है ठोस सबूत
यदि इस मामले में ऐसा लग रहा होगा कि पीड़ितों का बयान काफी नहीं है तो हम बता दे कि इस मामले में अमित मिश्रा और सुपरवाइजर के बीच कोचियों को कमीशन के बदले शराब उपलब्ध कराने के संबंध में मोबाइल पर हुई बातचीत की ऑडियो क्लिपिंग भी मौजूद है। यह क्लिपिंग बीते महीने सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुई थी। अखबारों में इस मामले को लेकर समाचार का प्रकाशन भी किया गया था। इन सभी महत्वपूर्ण तथ्यों का खुलासा होने के बाद मामले में फिर एकबार रि-इन्वेस्टिगेशन की जरूरत है। अब आगे देखना होगा कि प्रशासन इस मामले को संज्ञान लेती है या फिर सुपरवाइजर और प्लेसमेंट कर्मचारियों को दोबारा लामबंद होना पड़ेगा?
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कर्णकांत श्रीवास्तव
(B.J.M.C.)
सीनियर जर्नलिस्ट, फाउंडर एंड चीफ एडिटर- सेंट्रल रिपोर्टर समाचार पत्र एवं एक्स रिपोर्टर न्यूज वेबसाइट, मीडिया प्रभारी- जिला पत्रकार महासंघ, राजनांदगांव एवं विशेष सदस्य- प्रेस क्लब राजनांदगांव।
मो. 9752886730
