✍️ लाला कर्णकान्त श्रीवास्तव
एक्स रिपोर्टर न्यूज़ । राजनांदगांव
बसंतपुर स्थित जिला अस्पताल का भोजन टेंडर इन दिनों तकनीकी पेंच में फंसा हुआ है। निविदा में भाग और फिर चयनित होने वाले तीन में से पहले दो ठेकेदार तकनीकी खामियों से घिर चुके हैं। पहले ठेकेदार के डॉक्यूमेंट को बोगस बताकर अस्पताल प्रबंधन ने दूसरे नंबर के ठेकेदार को टेंडर देने की मंशा बना ली है, लेकिन दूसरे ठेकेदार द्वारा सबमिट किए गए डॉक्यूमेंट में भी खामी निकल आई है। बताया जा रहा है कि दूसरे नंबर के ठेकेदार ने निजी बैंक का ड्राफ्ट जमा किया है जबकि निविदा शर्तों में राष्ट्रीयकृत बैंक ड्राफ्ट जमा करने कहा गया है। इसे लेकर ठेकेदारों में आपसी शिकायत का दौर शुरू हो चुका है। जिसके चलते नया टेंडर नहीं हो पा रहा है। वहीं सूत्रों की माने तो सेकंड नंबर के ठेकेदार को टेंडर दिलाने के लिए राजनीतिक प्रेशर दिया जा रहा है, लेकिन अन्य ठेकेदार की ओर से किए गए शिकायत के चलते अस्पताल प्रबंधन असमंजस की स्थिति में है, कि आखिर ठेका दे तो किसे…?
एक्स्ट्रा डाइट से नहीं, किराया राशि में करा रहे है प्रतिस्पर्धा
इस बार जिला अस्पताल का भोजन टेंडर एक्स्ट्रा डाइट से नहीं बल्कि भवन किराया राशि में प्रतिस्पर्धा के हिसाब से कराया जा रहा है। जो कि पूरी तरह से नियम विपरीत है। शासन द्वारा दिए जाने वाले भोजन राशि में किसी तरह की कटौती नहीं की जा सकती है ना ही ऐसा कोई प्रबंध किया जाना है जिससे भोजन की राशि प्रभावित हो। अधिक से अधिक भवन किराया वसूली से भोजन की गुणवत्ता से समझौता होने की आशंका बनी हुई है। नियम अनुसार मेनू के अतिरिक्त डाइट ही प्रतिस्पर्धा का एकमात्र विकल्प है। ज्ञात हो कि पेंड्री मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ठीक इसी तरह नियम विपरीत तरीके से भवन किराया दर में प्रतिस्पर्धा कर ठेका दिया गया है। जिससे भोजन की गुणवत्ता ताक पर है।
अतिरिक्त डाइट सूची को पालन न करवाने के पीछे अस्पताल प्रबंधन की ही कमजोरी
गौरतलब है कि पिछले वर्ष भोजन का ठेका अतिरिक्त डाइट सूची के हिसाब से ही कराया गया था जो कि सही भी है, लेकिन ठेकेदार द्वारा अतिरिक्त डाइट सूची का पालन नियमित तौर पर नहीं किया गया।
इसकी शिकायतें भी हुई लेकिन अस्पताल प्रबंधन की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। जानकारी होने के बावजूद कार्रवाई न करना अस्पताल प्रबंधन की ही कमजोरी है। इसके लिए एक्स्ट्रा डाइट चयन सिस्टम को नकारा नहीं जा सकता है। अब देखना है यह है कि जिला प्रशासन के आला अफसर इस मामले में क्या एक्शन लेते है।
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