लाला कर्णकान्त श्रीवास्तव
एक्स रिपोर्टर न्यूज़ । राजनांदगांव
इनदिनों स्वास्थ्य विभाग में शासन के नियमों और आदेशों की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही है। अधिकारियों के संरक्षण में बाबू और कर्मचारी जमकर मनमानी कर रहे हैं। ऐसी मनमानी का एक उदाहरण फिर सामने आया है। आईडी पासवर्ड घूमने का बहाना बनाकर डेढ़ महीने बाद भी स्टोर कीपर का चार्ज हैंडओवर नहीं किया गया है। मनमानी यहीं पर रुकी नहीं है, जिस कर्मचारी को पद से हटाया गया है उसी से मेडिसिन खरीदी की प्रक्रिया करवाई जा रही है, यह अपने आप में ही एक गंभीर मसला है।
जानकारी अनुसार लगातार विवादों में घिरे रहने के कारण फार्मासिस्ट द्वारका प्रसाद साहू को बीते 7 जुलाई 2024 को स्टोर कीपर के चार्ज से मुक्त करते हुए तीन दिवस के भीतर संपूर्ण दस्तावेज और कार्यभार फार्मासिस्ट श्री पदमे को सौपने के लिए कहा गया था। लेकिन डेढ़ महीना बीत जाने के बाद भी श्री पदमे को स्टोर कीपर का पूर्ण दायित्व नहीं दिया गया है। शासन के आदेश के अवहेलना करते हुए पहले तो श्री साहू ने संचालनालय द्वारा प्रदत आईडी पासवर्ड के गुम हो जाने की जानकारी दी, फिर ऑडिट के लिए डॉक्यूमेंट अपने पास रखने का हवाला दिया और स्टोर कीपर की कुर्सी छोड़ने से आनाकानी करते रहे।
अब श्री साहू द्वारा ही टेंडर वाली मेडिकल कंपनी से मेडिसिन खरीदी की प्रक्रिया की जा रही है जो शासन के आदेश के खिलाफ है। समय पर आदेश का पालन करवाना छोड़ विभाग के अधिकारी भी इस तरह की मनमानी का समर्थन और संरक्षण कर रहे हैं जो कि गंभीर बात है। गौरतलब है कि संचालनालय द्वारा स्वास्थ्य विभाग को मेडिसिन और मेडिकल सामग्री खरीदी से जुड़ी जानकारी अपलोड करने के लिए एक आईडी और पासवर्ड दिया जाता है। इसका उपयोग नियमित तौर पर संबंधित अधिकारी या फिर भंडार गृह प्रभारी द्वारा किया जाता है। नियमित उपयोग के बावजूद आईडी पासवर्ड का गुम हो जाना, त्रुटि नहीं बल्कि बहाने बाजी और कूटरचना की ओर इशारा कर रही है।
केबिन में जमा रखा है हक, अतिशेष के बाद भी मुख्य कार्यालय में कर रखा है संलग्न
आदेश में साफ लिखा गया है कि तीन दिवस के भीतर ही संपूर्ण दायित्व नए स्टोरकीपर को दिया जाना है। इसके बाद भी श्री साहू द्वारा चार्ज हैंड ओवर नहीं किया गया। यही नहीं केबिन को भी अभी तक खाली नहीं किया गया है। जानकारी अनुसार स्टोर कीपर के अलावा स्वास्थ्य विभाग में फार्मासिस्ट की आवश्यकता नहीं है ना ही इसके लिए विभागीय सेटअप है। इसके बाद भी अतिशेष फार्मासिस्ट को मुख्य कार्यालय में संलग्न क्यों रखा गया है? यह भी जांच का विषय है। शासन प्रशासन को चाहिए कि वह स्वतः संज्ञान में लेते हुए मामले की जल्द जांच करवाए और संबंधित के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें। इस मामले में सीएचएमओ डॉ. एनआर नवरतन स्पष्ट जवाब नहीं दे पा रहें हैं।
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