भिलाई। 19 अप्रैल 2024 श्री शंकराचार्य प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी, भिलाई में संचालित कंप्यूटर साइंस विभाग द्वारा ब्लॉकचेन पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्यवक्ता प्रतिक कुमार, बिट कोड सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलसचिव पी. के. मिश्रा ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रो. (डॉ.) एस. सी. तिवारी, निदेशक यूनिवर्सिटी डेवलपमेंट एवं विनय पीताम्बरन, उपकुलसचिव की उपस्थिति सम्पन्न हुआ। कुलसचिव मिश्रा ने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि ब्लॉकचेन को भविष्य की अर्थव्यवस्था के लिये क्रांतिकारी तकनीक माना जा रहा है, लेकिन इस प्रौद्योगिकी की उत्पत्ति के संबंध में बहुत अधिक जानकारी सुलभ नहीं है। ऐसा माना जाता है कि 2008 में बिटकॉइन का आविष्कार होने के बाद इस क्रिप्टो-करेंसी को समर्थन देने के लिये इस ब्लॉकचेन तकनीक की खोज की गई। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसी आधुनिक तकनीक है जिसके बिना बिटकॉइन या अन्य किसी भी प्रकार की क्रिप्टो-करेंसी का लेन-देन कर पाना असंभव है। साथ ही उन्होंने बताया कि यह अपेक्षा की जा रही है कि बिचौलियों को हटाकर ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी सभी प्रकार के लेन-देन की दक्षता में सुधार लाएगी तथा इससे सभी लेन-देनों की लागत में भी कमी आएगी। साथ ही इससे पारदर्शिता में भी वृद्धि होगी तथा फर्जी लेन-देनों से मुक्ति मिलेगी, क्योंकि इसके अंतर्गत प्रत्येक लेन-देन को एक सार्वजानिक बही खाते में रिकॉर्ड तथा आवंटित किया जाएगा। आज साइबर सुरक्षा, बैंकिंग और बीमा के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर चिंताएँ सामने आ रही हैं तथा ऐसे में इन्हें सुरक्षित बनाने के लिये ब्लॉकचेन तकनीक के उपयोग को लेकर स्वीकार्यता बढ़ती जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि वर्तमान संदर्भों में ब्लॉकचेन एक गेमचेंजर साबित हो सकता है, बशर्ते इसके महत्त्व और क्षमताओं की पहचान समय रहते कर ली जाए।
निदेशक प्रो. तिवारी ने बताया कि ब्लॉकचेन तकनीक का सर्वोत्तम एवं सबसे बड़ा उदाहरण बिटकॉइन नेटवर्क है। लेकिन ब्लॉकचेन तकनीक का इस्तेमाल करने वाली बिटकॉइन जैसी आभासी मुद्रा को रैनसमवेयर हमलों का सामना करना पड़ सकता है। अत: इसका विनियमन बड़ी सावधानी से करने की आवश्यकता है। भारत में इसे विनियमित करने के लिये फ़िलहाल कोई पहल नहीं की जा रही और वित्त मंत्री ने इस वर्ष के बजट में बिटकॉइन जैसी क्रिप्टो-करेंसियों को अवैध बताया, जिसमें कोई भी यदि निवेश करता है तो उसके लिये वह स्वयं उत्तरदायी होगा। विदित हो कि बिटकॉइन एक विशुद्ध इलेक्ट्रॉनिक मुद्रा है, जिसका प्रयोग विनिमय में किया जाता है, लेकिन एकाध को छोड़कर इसे किसी भी देश ने मान्यता नहीं दी है। साथी ही उन्होंने कहा कि बेशक बिटकॉइन को वैश्विक मान्यता नहीं मिली है, लेकिन हाल के वर्षों में विश्व स्तर पर और साथ ही भारत में बिटकॉइन की मांग बढ़ी है।
कार्यशाला के मुख्यवक्ता प्रतिक कुमार ने पीपीटी के माध्यम से छात्राओं को बताया कि विकेंद्रीकरण और पारदर्शिता ब्लॉकचेन तकनीक की सबसे महत्त्वपूर्ण व्यवस्था है, जिसकी वज़ह से यह तेज़ी से लोकप्रिय और कारगर साबित हो रही है। ब्लॉकचेन एक ऐसी तकनीक है जिसे वित्तीय लेन-देन रिकॉर्ड करने के लिये एक प्रोग्राम के रूप में तैयार किया गया है। यह एक डिजिटल सिस्टम है, जिसमें इंटरनेट तकनीक बेहद मज़बूती के साथ अंतर्निहित है। यह अपने नेटवर्क पर समान जानकारी के ब्लॉक को संग्रहीत कर सकता है। ब्लॉकचेन डेटाबेस को वितरित करने की क्षमता रखता है अर्थात् यह एक डिस्ट्रिब्यूटेड नेटवर्क की तरह कार्य करता है। डेटाबेस के सभी रिकॉर्ड किसी एक कंप्यूटर में स्टोर नहीं होते, बल्कि हज़ारों-लाखों कंप्यूटरों में इसे वितरित किया जाता है। ब्लॉकचेन का हर एक कंप्यूटर हर एक रिकॉर्ड के पूरे इतिहास का वर्णन कर सकता है। यह डेटाबेस एन्क्रिप्टेड होता है। ब्लॉकचेन सिस्टम में यदि कोई कंप्यूटर खराब भी हो जाता है तो भी यह सिस्टम काम करता रहता है। उन्होंने बताया कि जब भी इसमें नए रिकार्ड्स को दर्ज करना होता है तो इसके लिये कई कंप्यूटरों की स्वीकृति की ज़रूरत पड़ती है। ब्लॉकचेन को यूज़र्स का ऐसा ग्रुप आसानी से नियंत्रित कर सकता है, जिसके पास सूचनाओं को जोड़ने की अनुमति है और वही सूचनाओं के रिकॉर्ड को संशोधित भी कर सकता है। इस तकनीक में बैंक आदि जैसे मध्यस्थों की भूमिका समाप्त हो जाती है और व्यक्ति-से-व्यक्ति सीधा संपर्क कायम हो जाता है। इससे ट्रांजेक्शंस में लगने वाला समय तो कम होता ही है, साथ ही गलती होने की संभावना भी बेहद कम रहती है। वक्ता प्रतिक ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी और डाटा प्रबंधन सरकारी योजनाओं का लेखा-जोखा, सब्सिडी वितरण कानूनी कागज़ात रखने, बैंकिंग और बीमा, भू-रिकॉर्ड विनियमन, डिजिटल पहचान और प्रमाणीकरण, स्वास्थ्य आँकड़े, साइबर सुरक्षा, क्लाउड स्टोरेज, ई-गवर्नेंस, स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट, शैक्षणिक जानकारी, ई–वोटिंग के क्षेत्र में ब्लॉकचेन का प्रयोग किया जा रहा है जिससे ब्लॉकचेन ने बड़े पैमाने पर रोजगार अवसर पैदा किया है। उक्त कार्यक्रम धीरेंद्र पराते के संयोजन एवं विभागीय प्राध्यापकों के सह-संयोजन में आयोजित किया गया। इस अवसर पर कम्पूटर साइंस विभाग के विद्यार्थियों एवं प्राध्यापकों कि गरिमामई उपस्थिति रहीं।

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